3.हरियाणा में होली धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है।
4.गोवा— शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है |
5. पंजाब में सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री अनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है | कहा जाता है कि गुरु गोबिन्द सिंहजी ने स्वयं इस मेले की शुरुआत की थी। होला महल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में 6 दिन तक चलता है |
6, दक्षिण गुजरात के आदिवासि भील जाति के लोग होली को गोलगधेड़ों के नाम से मनाते हैं। इसमें किसी बांस या पेड़ नारियल और गुड़ बांध दिया जाता है उसके चारों और युवतियां घेरा बनाकर नाचती हैं। युवक को इस घेरे को तोड़कर गुड़,नारियल प्राप्त करना होता है। इस प्रक्रिया में युवतियां उस पर जबरदस्त प्रहार करती हैं। यदि वह इसमें कामयाब हो जाता है तो जिस युवती पर वह गुलाल लगाता है वह उससे विवाह करने के लिए बाध्य हो जाती है।
7.छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है, बस्तर की होली—- बस्तर में इस दिन लोग कामदेव का बुत सजाते हैं,जिसे कामुनी पेडम कहा जाता है। उस बुत के साथ एक कन्या का विवाह किया जाता है। इसके उपरांत कन्या की चुड़ियां तोड़कर,सिंदूर पौंछकर विधवा का रुप दिया जाता है। बाद में एक चिता जलाकर उसमें खोपरे भुनकर प्रसाद बांटा जाता है।
8.मध्यप्रदेश—– मध्यप्रदेश की होली भील होली को भगौरिया कहते हैं। इस दिन युवक मांदल की थाप पर नृत्य करते हैं। नृत्य करते हुये वो लडकी के मुहं पर गुलाल लगाता है यदि लडकी भी लडके के मुहं पर वापस गुलाल लगा देती है तो इसका मतलब होता है कि वो विवाह के लिये राजी है |
9. राजस्थान में होली के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। बाड़मेर में पत्थर मार होली खेली जाती है तो अजमेर में कोड़ा होली। सलंबर कस्बे में आदिवासी गेर खेलकर होली मनाते हैं। इस दिन यहां के युवक हाथ में एक बांस जिस पर घूंघरू और रूमाल बंधा होता है,जिसे गेली कहा जाता है लेकर नृत्य करते हैं। इस दिन युवतियां फाग के गीत गाती हैं।
Dr. J.K. Garg
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