जानिये भारत के विभिन्न प्रान्तों में कैसे मनायी जाती है होली Part 2

डा. जे.के.गर्ग
10.तमिलनाडु में होली का दिन कामदेव को समर्पित होता है। कहा जाता है कि शिवजी की तपस्या को भंग करने के लिये कामदेव ने शिवजी पर अपने कामबाणों से वार कर उनकी तपस्या को भंग किया जिससे शिवजी क्रोधित हो ऊठे| भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भष्मकर दिया | शिवजी की तपस्या भंग होने का सुखद परिणाम तो यह हुआ किशिव पार्वती का विवाह हो गया | उधर कामदेव की पत्नी रति ने कामदेव की म्रत्यु पर विलाप किया और शंकर भगवान से कामदेव को पुनः जीवित करने की प्राथना की। रति की आराधना से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। कहा जाता है कि यह दिन होली का दिन था | आज भी रति के विलाप को लोकसंगीत के रूप में गाया जाता है और चन्दन की लकड़ी को अग्निदान किया जाता है ताकि कामदेव को आग में भस्म होने में पीड़ा ना हो, साथ ही बाद में कामदेव के जीवित होने की खुशीमे रंगो का त्योहार मनाया जाता है।

11. आंध्र प्रदेश की होली वैसे तो दक्षिण भारत में उत्तर भारत की तरह की रंगों भरी होली नहीं मनाई जाती है फिर भी सभी लोग हर्षोल्लास में आंध्रप्रदेश के बंजारा जनजतियों का होली मनाने का अपना निराला तरीक़ा है। यह लोग अपने विशिष्ट अंदाज़ में मनोरम नृत्य प्रस्तुत करते हैं।उड़ीसा में भी होली को ‘डोल पूर्णिमा’ कहते हैं और भगवान जगन्नाथजी की डोली निकाली जाती है।

12.मणिपुर में होली याओसांग के नाम से मनाई जाती है। योंगसांग उस नन्हीं झोंपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट परबनाई जाती है यहां धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। इस दिन योंगसांग के अंदर चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजन के बाद इस झोपड़ी को अलाव की भांति जला दिया जाता है। इस झोपड़ी में लगने वाली सामग्री को बच्चों द्वारा चुराकर लाने की प्रथा है। इसकी राख को लोग मस्तक पर लगाते हैं एवं ताबीज भीबनाया जाता है। पिचकारी के दिन सभी एकदूसरे को रंग लगाते हैं । बच्चे घरघर जाकर चांवल,सब्जी इत्यादि इकट्ठा करते हैं और फिर विशाल भोज का आयोजन किया जाताहै।

13.बंगाल में दोलयात्रा का उत्सव होता है, यह उत्सव पाँच या तीन दिनों तक चलता है, पूर्णिमा के पूर्व चतुर्दशी को सन्ध्या के समय मण्डप के पूर्वमेंअग्नि के सम्मान में एक उत्सव होता है। गोविन्द की प्रतिमा का निर्माण होता है। एक वेदिका पर16खम्भों से युक्त मण्डप में प्रतिमा रखी जाती है। इसे पंचामृत सेनहलाया जाता है एवं,कई प्रकार के कृत्य किये जाते हैं फिर मूर्ति या प्रतिमा को इधर उधर सात बार डोलाया जाता है।

Dr. J.K. Garg
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