पूर्वीपाकिस्तान के विघटन एवं बंगलादेश देश के जन्म के समय अटलजी ने अपनी राजनेतिक प्रबल विरोधी इंदिराजी जी की सराहना करते हुए उन्हें माँ दुर्गा के समान बता कर एक कुशल एवं परिपक्वराजनेता के रूप में अपने आप को स्थापित किया | 2002 के गुजरात के साम्प्रदायिक दंगों के बाद प्रधानमंत्री बाजपेयी जी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री को को राज धर्म के पालन करने की सीख दी थी |
अटल जी की वाणी में सदैव विवेक और संयम होता है। गम्भीर से गम्भीर बात को बात हँसी की फुलझड़ियों के बीच कह देने की विलक्ष्ण क्षमता उन्हीं में हैं। कहते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूजी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था कि ये अद्धभुत प्रतिभा के धनी हैं और इनका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है जिसकी वजह से ये एक दिन देश के सर्वोच्च पद पर पदासीन होगें “ |
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—-विभिन्न पुस्तके, मेरी डायरी के पन्ने आदि
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