महाशिवरात्रि पर करे शिव उपासना के विशेष प्रयोग

शिवे भक्तिः शिवे भक्तिः शिवे भक्तिर्भवे भवे ।
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम्।।

आचार्य राज पाण्डेय
महादेव ,चंद्रशेखर, आशुतोष, नीलकंठ आदि- अगणित नामों से विभूषित भोलेनाथ की महिमा का ना तो आदि है ना तो अंत।।
यह साकार और निराकार दोनों ही रूपों में अपने भक्तों पर कृपा करते हैं, “शिवस्य नाम मातरम्” “सत्यम शिवम सुंदरम” जो सत्य है, कल्याणकारी है, और सुंदर है, वही शिव का स्वरूप है।।
शिव तारक ब्रम्ह,व शिव तम के देवता है जो अंधकार को दूर कर प्रकाश स्थापित करते हैं,रात्रिकालीन पर्वो में विशेष रूप से दो पर्व महत्तवपूर्ण हैं–
महाशिवरात्रि और नवरात्रि पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन महादेव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था 21 फरवरी 2020 शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व पड़ रहा है, इस दिन इस पावन पर्व पर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन कर अभिषेक करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।।
महाशिवरात्रि जागरण का पर्व है अतः रात्रि में शिव मंत्र, स्त्रोत, चालीसा, कवच का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करें।।
भगवान शिव ही ब्रह्म रूप होने के कारण निष्कल (निराकार) कहे गए हैं, रूपवान होने के कारण उन्हें “सकल” भी कहा गया हैं, इसलिए वे सकल और निकल दोनों हैं।।
शिव के निष्कल निराकार होने कारण उनकी पूजा का आधारभूत लिंग भी निराकार ही प्राप्त हुआ है, अर्थात शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है।।

इसी तरह शिव के सकल या साकार होने के कारण इनकी पूजा का आधारभूत विग्रह साकार प्राप्त होता है अतः शिव का साकार विग्रह उनके साकार स्वरूप का प्रतीक है।।

सकल और निष्कल (समस्त अंग- आकार सहित साकार और अंग आकार से सर्वदा रहित निराकार) रूप में ही होने से ही वे “ब्रह्म “शब्द से कहे जाने वाले परमात्मा है।।

यही कारण है कि सब लोग लिंग (निराकार) और मूर्ति (साकार) दोनों में ही सदा भगवान शिव की पूजा करते है

शिव से भिन्न जो दूसरे-दूसरे देवता हैं, वे साक्षात् ब्रह्म नहीं हैं, इसलिए कहीं भी उनके लिए निराकार लिंग उपलब्ध नहीं होता।।

शिवरात्रि को जो व्यक्ति दिन- रात निराहार और जितेंद्रिय रहकर अपनी शक्ति अनुसार निश्चल भाव से शिव की यथोचित पूजा करता हैं, करने पर जो फल मिलता है वह सारा फल केवल शिव उस मनुष्य को तत्काल अपनी कृपा प्रदान करते है ।। इस तिथि में जो शिवलिंग स्थापना, पूजा अभिषेक जो कोई भी करता है, उसके समस्त मनोकामना की पूर्ति भगवान शिव करते हैं।।

महाशिवरात्रि विशेष प्रयोग शिव उपासना:-

सुबह ब्रम्हमुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) दिशा में श्वेत वस्त्र श्वेत आसन पर बैठकर शिव का ध्यान करें, फिर फूल,धूप,दीप नैवेद्य से पूजन कर रूद्र गायत्री मंत्र

ऊँ तत्पुरूषाय विदमहे महादेवाय धीमहि
तन्नो रूद्रः प्रचोदयात की 3 माला जाप करें।।

1:-जिन लोगों के चंद्र कुंडली में चंद्र कमजोर हैं वह शाम के समय शिव के सामने बैठे उन्हें भांग धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें एक चांदी का अर्धचंद्र भी अर्पण करें पहले शिव के मंत्र ऊँ आशुतोषाय नमः का जाप करें फिर चंद्र का मंत्र ऊँ सों सोमाय नमः का जाप करें, पूजा समाप्त होने के बाद अर्धचंद्र गले में पहन लें और गले में पहनने से पहले भगवान शिव की प्रार्थना करें।

भोलेनाथ जल का एक लोटा अर्पित करने से ही प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं वह उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।।

2;- कुण्डली में शनि दोषपूर्ण हैं तो जल में तिल मिलाकर शिव को चढ़ाये –और ऊँ नीलकण्ठाय नमः का जाप करें।।

3:- रोगों से मुक्ति प्राप्ति हेतु:-जल में कच्चा दूध,तिल,सर्वोषधि,डालकर चढ़ाये और महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करें।।

दीर्घायु हेतु :-शिव को दूर्वा चढ़ाये तीन दलो युक्त–ऐसा करने से भगवान शिव के साथ गणेश की कृपा भी प्राप्त होती हैं।।

शिवकृपा हेतु:- बेलपत्र के पत्तों पर राम मंत्र और शिव मंत्र लिखकर उन पत्तों की माला या पत्ते चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं।।

सर्वमनोकामना प्राप्ति हेतु:-पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कराये।।

राशि अनुसार उपाय:-

मेष:-भगवान शिव को मंदार पुष्प,पत्र,व शमी पुष्प,पत्र अर्पण करें।।

वृषभ:-भगवान शिव को केशर मिश्रित दूध,दही व जल अर्पण करें–सम्पन्नता,वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा।।

मिथुन:-पंचामृत बेलपत्र-जल अर्पण करे–करीयर संतान बाधा दूर होगी।

कर्क:-भगवान शिव को शमी पुष्प,पत्र,कच्चा दूध मिश्रित जल चढ़ाये–सेहत सही व दुर्घटना से रक्षा होगी।।

सिंह:-गन्ने का रस व जल चढ़ाये–सम्पन्नता व संतान सुख की प्राप्ति होगी।।

कन्या:-भांग,धतूरा,लाल डंठल वाला,व लाल फल मीठा चढ़ाये–तनाव,विवाद दूर होगें।।

तुला:-भगवान शिव को बेलपत्र,चंदन का इत्र,व जल चढ़ाये –विवाह रोजगार की बाधा दूर होगी।।

वृश्चिक:-अबीर,गुलाल,जल,चढ़ाये–तनाव, विवाद,मुकदमा से राहत मिलेगी।।

धनु:-घी का एकमुखी दिया जला व शिवपंचाक्षरी स्त्रोत से आरती करें–हर कार्य में सफलता,व बाधा दूर होगी।।

मकर:-जल में तिल,मंदार पत्र चढाये–संतान सुख,व सुखद वैवाहिक जीवन प्राप्त होगा।।

कुम्भ:-बेलपत्र,दूध में शहद डालकर चढाये–मानसिक शांति व क्रोध की समस्या खत्म होगी।।

मीन:-मलयागिरी चंदन जल में डालकर चढाये–स्वास्थ्य व धन की समस्या दूर होगी।।

विशेष:-भगवान शिव को महाशिवरात्रि से शुरू कर नित्य गुड़हल का फूल चढ़ाये–नाम,यश की प्राप्ति,अपयश से छुटकारा मिलेगा।।

भगवान शिव को जल चढ़ाते समय नित्य निम्न मंत्र का जाप करें—–

ऊँ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च।
नमः शंकराय च मयस्कराय च।।
नमः शिवाय च शिवतराय च।।

आचार्य राज पाण्डेय
अयोध्या (उत्तर प्रदेश)

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