याद कीजिये प्रथम स्वतन्त्रता दिवस की कुछ भूली बिसरी घटनाओं को पार्ट 2

dr. j k garg
जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ’ट्रिस्ट विद डेस्टनी’14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था | तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे | इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना | यह एतिहासिक भाषण हमारे मष्तिष्क पर तत्तकालीन भारत की दशा और स्वतंत्रता सेनानीयों के स्वप्नों का मानचित्र प्रस्तुत करता है इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे ही सोने चले गए थे | इस प्रसिद्ध भाषण में नेहरूजी ने कहा था “भविष्य हमें बुला रहा है | हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी,किसानो और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम गरीबी, अज्ञानता और बिमारियों से लड़ सकें, हम एक समृद्ध,लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश का का निर्माण कर सकें, और हम ऐसी सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? हमे कठिन परिश्रम करना होगा | हम में से से कोई भी तब तक चैन से नहीं बैठ सकता है जब तक हम अपने वचन को पूरी तरह निभा नहीं देते,जब तक हम भारत के सभी लोगों उस गंतव्य तक नहीं पहुंचा देते जहाँ भाग्य उन्हें पहुँचाना चाहता है | हम सभी एक महान देश के नागरिक हैं,जो तीव्र विकास की कगार पे है, और हमें उस उच्च स्तर को पाना होगा | हम सभी चाहे जिस धर्म के हों, समानरूप से भारत माँ की संतान हैं, और हम सभी के बराबर अधिकार और दायित्व हैं | हम सांप्रदायिकता और संकीर्ण सोच को बढ़ावा नहीं दे सकते, क्योंकि कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं |
15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया | दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया |

सकंलन कर्ता——-डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ— विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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