माता पार्वती, लक्ष्मी औरसरस्वती के विभिन्न नौ स्वरूपों को नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। नवरात्रों में हम पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों की पूजा-आराधना करते हैं वहीं अगलेतीन दिन में लक्ष्मी माता के तीन स्वरूपों और आखरी के तीन दिन में माता सरस्वती के तीन स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। इसी सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि धार्मिक ग्रन्थों में दुर्गा सप्तशती के अन्तर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णनकिया गया है जिसमे बताया गया है कि देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार से देवताओं के साम्राज्य को स्थापित करने हेतु तीनों लोकों में उत्पात मचाने वालेबलशाली दानवों से लोहा लिया था, इसी वजह सेआज सम्पूर्ण देश में हजारों की संख्याओं में दुर्गा यानि नवदुर्गाओं के मन्दिर स्थापित हैं। सभी नव देवियाँ नारीयों में पाये जाने हर प्रकार के गुंणों को संसार में संजोये रखने का पावन संदेश देती |
डा.जे.के.गर्ग, सन्दर्भ— मेरीडायरी के पन्ने, विभिन्न पत्रिकाएँ, भारत ज्ञान कोष, संतों के प्रवचन,जनसरोकार, आदि visit my Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in