1965 की भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय जननायक शास्त की एक आवाज पर लाखो नर नारियों ने सप्ताह के एक दिन सोमवार को अन्न नहीं खाने का व्रत ले लिया था और उसका पालन भी किया | जय जवान जय किसान के नारे का उद्दघोष करने वाले नाटे कद के हमारे शास्त्री जी ही थे | शास्त्री जी सहनशीलता में उनकी महानता में भी परिलक्षित होती थी | लाल बहादुर जी ने ना कभी क्रोध किया और ना ही कभी कोइ शिकायत की थी | उनका मानना था कि “ अगर हम भष्टाचारको गम्भीरता से लें तो हम जरुर अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर सकेंगें |शास्त्री जी का मानना था कि सच्चे लोकतंत्र में कभी भी हिंसा से कोई विवाद सुलझाया नहीं सकता है , परस्पर संवाद वार्तालाप से ही समस्याओं को दूर किया जा सकता है | विभिन्न विचार धारा वाले समूहों में परस्पर अविश्वास की जगह संवाद होना चाहिये | बचपन में ही नन्हें लालबहादुर ने तय कर लिया कि वो कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे दूसरों को नुकसान नहीं हो |
आत्मसम्मान के धनी आजादी के दिवाने शास्त्री जी स्वतंत्रताआन्दोलन के दौरान जेल भी गये थे 2 अक्तूबर 2021 को जननायक शाष्त्रीजी के 117 वें जन्म दिन पर 133 करोड़ भारतियों का उनके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन और श्रद्धा सुमन |