कर्तव्यनिष्ठता सत्यता और सादगी की प्रतिमूर्ति जननायक शास्त्री जी के जीवन के अद्भुत मर्मस्पर्शी प्रेरणादायक संस्मरण Part 7

ना कोई लालच और ना ही पद का अभिमान

j k garg
घटना 1965 की है,एक दिन प्रधानमंत्री शास्त्रीजी एक कपड़े की मिल देखने मिल के मालिक, मिल के उच्च अधिकारीयों तथा कई विशिष्ट लोगों के साथ मिल को देखने गये थे। मिल देखने के बाद शास्त्रीजी मिल के गोदाम में पहुंचे तो उन्होंने मालिक को कुछ साड़ियां दिखलाने को कहा। मिल मालिक ने एक से एक खूबसूरत साड़ियां उनके सामने फैला दीं। शास्त्रीजी ने साड़ियां देखकर कहा- ‘साड़ियां तो बहुत अच्छी हैं”, पर इनकी कीमत क्या है?’ मील मालिक बोला ‘जी, यह साड़ी 800 रुपए की है और यह वाली साड़ी 1000 की है’ | शास्त्रीजी बोले यह तो मेरे बजट से बहुत ज्यादा है, सस्ती साड़ीयां बताओं | दूसरी साड़ियां दिखलाते हुये मील मालिक बोले देखिये यह साड़ी 500 रुपए की है और यह 400 रुपए की’। ‘अरे भाई, यह भी बहुत महंगी हैं। मुझ जैसे गरीब के लिए कम मूल्य की साड़ियां दिखलाइए, जिन्हें मैं खरीद सकूं। मील मालिक कहने लगा, ‘वाह सरकार, आप तो हमारे प्रधानमंत्री हैं, आप गरीब कैसे हो सकते हैं ? आप से कीमत कोन मांग रहा है,हम तो ये साड़ियां आपको भेंट कर रहेहैं।’ ‘नहीं भाई, मैं साड़ियाँ भेंट में नहीं लूंगा’,| ‘क्यों साहब? हमें यह अधिकार है कि हम अपने प्रधानमंत्री को भेंट दें’ | ‘हां, मैंप्रधानमंत्री हूं’, शास्त्रीजी ने बड़ी शांति से जवाब दिया- ‘पर इसकाअर्थ यह तो नहीं कि जो चीजें मैं खरीद नहीं सकता, वह भेंट में लेकर अपनी पत्नी को पहनाऊं। भाई, मैं प्रधानमंत्री हूं पर हूं तो गरीब ही। देश के प्रधानमंत्री ने कम मूल्य की साड़ियां ही दाम देकर अपने परिवार के लिए खरीदीं। ऐसे महान थे हमारे शास्त्रीजी जिन्हें कोई लालच था और ना ही पद का अभिमान,उन्होंने जीवन पर्यन्त अपने पद का कोई फायदा नहीं उठाया ।

जन नायक लाल बहादुर जी के जन्म दिन पर हम सभी देश वासी उनकी कर्तव्य निष्ठा सत्यता निर्भीकता ईमानदारी देश प्रेम सादगी और सरलता से प्रेरणा लें और जननायक शास्त्री जी के जीवन के अद्भुत मर्मस्पर्शी प्रेरणादायक घटनायें हमारे जीवन को आलोकित कर के हमें सही अर्थों में राष्ट्र भक्त बनाये |

डा.जे.के.गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर

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