राष्ट्र पिता के जीवन की अविस्मरणीय घटनायें Part 4
अपनी गलतियों को कैसे सुधारें
कलकत्ता में हिन्दू मुसलमान दंगे भड़के हुए थे। ऐसी स्थिति में गांधी जी दंगे खत्म करवाने वहां पहुंचे और एवँ अपने मुस्लिम मित्र के यहां ठहरे। उनके पहुचने से दंगा कुछ शांत हुआ लेकिन कुछ ही दोनों में फिर से आग भड़क उठी। जिससे दुखी होकर गांधी जी ने आमरण अनशन करने का ऐलान किया और 31 अगस्त 1947 को अनशन पर बैठ गए। एक दिन अधेड़ उम्र का इन्सान उनके पास पहुंचा और बापूजी से बोला” गांधीजी में तुम्हारी मोत का पाप अपने सिर पर नहीं लेना चाहता,इसीलिए आप रोटी खा लें ।” और फिर एकाएक वो आदमी बिलखते हुए रोने लगा, और कहनें लगा ”मैं मरूँगा तो नर्क जरुर जाऊँगागांधी जी ने शालीनता से पूछा क्यों ?। वो आदमी बोला मैंने एक आठ साल के मुस्लिम लड़के की जान ले लीगाँधी जी ने कुछ देर सोचा और फिर उन्होंने उससे कहा मेरे पास एक उपाय है।” तुम उसी उम्र का एक लड़का खोजो जिसने दंगों में अपने माता-पिता खो दिए हों, और उसे अपने बच्चे की तरह पालो, लेकिन एक बात तय कर लो कि वह एक मुस्लिम होना चाहिए और उसी तरह बड़ा किया जाना चाहिए।” गांधी जी ने यह कह कर अपनी बात पुरीकी।
जब किसी ने बापूजी के मुहं पर थूका तो वे बोले एक ने तो अपना गुस्सा थूका भले ही मेरे मुंह पर ही क्यों न
की है, जब देश में हिन्दू मुसलमान दंगे हो रहे थे। तब बापू दंगे शांत कराने को बंगाल गए थे वहां पर क्रोधित मुसलमान भाइयों को जब गांधी जी समझाने का प्रयास कर रहे थे तो एक मुसलमान ने अपना आपा खोकर गांधी जी के मुंह पर थूक दिया। ऐसा देख कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं ने उस युवक पकड़ा तो गांधी जी ने कहा कि इन लोगों में गुस्सा है और मुझे ख़ुशी है कि किसी एक ने तो अपना गुस्सा थूका भले ही मेरे मुंह पर ही क्यों न थूका हो। यही थी बापूजी की शालीनता और सज्जनता | बापूजी की बात सुनकर वह मुस्लिम युवक उनके पैरों पर गिर पड़ा और वहां हो रहे दंगे भी कम हुए।