पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के ही विभिन्न नौ स्वरूपों को नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। नवरात्रों में हम पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों की पूजा -आराधना करते हैं वहीं अगले तीन दिन में लक्ष्मी माता के तीन रूपों की आराधना करते है वहीं आखिरी के तीन दिन में माता सरस्वती के तीन स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। इसी संदर्भ में यह भी जानना जरूरी है कि धार्मिक ग्रन्थों में दुर्गा सप्तशती के अन्तर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णन किया गया है जिसमें बताया गया है कि देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार से देवताओं के साम्राज्य को स्थापित करने हेतु तीनों लोकों में उत्पात मचाने वाले बलशाली दानवों से लोहा लिया था, इसी वजह से आज सम्पूर्ण देश में हजारों की संख्याओं में दुर्गा यानी नवदुर्गाओं के मन्दिर स्थित हैं। पहला नवरात्र बालिकाओं को, दूसरा नवरात्र युवतियों तथा तीसरा नवरात्रा महिलाओं के चरणों में समर्पित है |