अन्याय दुराचार अहंकार क्रोध ईर्ष्या पर न्याय सदाचार विनम्रता स्नेह सद्दभाव की विजय का पर्व दिवाली पार्ट 1

dr. j k garg
दीपावली का महामंत्र“ है असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय, दारिद्र्यात समृद्धि समय “ | दुनिया भर में कौन होगा जो अपने परिवार कारोबार और घर में सुख- समृद्धि – धन-संपदा, ज्ञान, ऐश्‍वर्या और मानसिक शांति नहीं चाहता हो? शायद कोई नहीं ? है | सुख- समृद्धि- धन-संपदा, ज्ञान, ऐश्‍वर्य और मानसिक शांति को प्राप्त करने के लिये भारतवासी विशेषकर हिन्दू-सनातनधर्मी दीपावली पर धन-धान्य-सम्पन्नता की देवी लक्ष्मी की पूजा-उपासना अर्चना करते हैं | हमारे देश मै ही नहीं किंतु संसार के विभिन्न देशों में हिन्दू ,सिख, जैन और अन्य धर्मावलम्बी दीपोत्सव को धूमधाम -हर्षोल्लास के साथ बनाते है | वहीं बच्चे भी दीपावली का बेसब्री से इंतजार करते हैं | दीपावली मनाने के पीछे भी यही तर्क है कि अपनी जिंदगी को एक उत्सव के रूप में जिया जाये, जीवन का हर पल सुखमय और आनंदमय हो इसलिए इस दिन आतिशबाजी भी की जाती है | रंग बिरंगी आतिशबाजी की मनमोहक चिनगारियाँ हमारे मन के अन्दर उमंग एवं उत्साह का संचार करती है | दीपावली का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन उल्लास और उमंग के साथ मनाई जाती है |

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