खालिस्तान के समर्थन में जरनैल सिंह भिंडरावाले ने स्वर्ण मन्दिर के भीतर अपना अड्डा बना लिया था , ऐसी अवस्था में उन्होंने मजबूर होकर आतंकवादियों से निबटने हेतु स्वर्ण मंदिर परिसर में सेना को प्रवेश करने का आदेश दिया, सिख समुदाय में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई और अधिकांश सिखों इन्दिरा गांधी के खिलाफ आक्रोश पनपा |इन्दिराजी ने अपनी मृत्यु से कुछ समय पूर्व ही कहा था कि अगर मैं एक हिंसक मौत मरती हूँ, जैसा की कुछ लोग डर रहे हैं और कुछ षड्यंत्र कर रहे हैं, मुझे पता है कि हिंसा हत्यारों के विचार और उनके कर्मो की होगी, मेरे मरने में नहीं | इन्दिरा जी के सुरक्षा कर्मी सतवंत सिंह और बेअंत सिंह,ने 31अक्टूबर, 1984 को अपने राजकीय सेवा के हथियारों से ही नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में ही इंदिरा गांधी की हत्या कर दी |