राष्ट्रपति बनने पर भी उनका जनसाधारण एवं गरीब ग्रामीणों से निरंतर संपर्क बना रहा। वह वर्ष में से 150 दिन रेलगाड़ी द्वारा यात्रा करते और आमतौर पर छोटे-छोटे स्टेशनों पर रुक कर सामान्य लोगों से मिलते और उन के दुख दर्द दूर करने का प्रयास करते थे । राजेंद्र बाबू भारत के संविधान के निर्माण के प्रमुख शिल्पकार थे | राजेंद्र बाबू ने हर मोके पर सहिष्णुता की भावना को आत्मसात किया था | उन्होंने हर मजहब सोच धर्म विचार धाराओं के प्रति सम्मान किया था | राष्ट्रपिता बापू ने राजेंद्र बाबू के इन्ही विशेषता की वजह उन्हें अपनी छाया बतलाया था | राजेंद्र प्रसाद ने भारत की राजनीति पर अमित छाप डाली थी | उनके आदर्श आज भी भारत के लिये दिशा निर्देश निर्धारित करते हैं | राजेंद्र प्रसाद और नेहरू के बीच इन तीव्र टकराव का मतलब यह नहीं था कि उन्होंने एक-दूसरे का अनादर किया करते थे ।राजेन्द्र बाबू कभी भी राजनीतिक विरोध और सोच को व्यक्तिगत दुश्मनी के रूप में समझने के जाल में नहीं पड़े | नेहरू जी को भारत रत्न दिए जाने की घटना उन लोगों के लिये एक महत्वपूर्ण सबक है जो राजेंद्र बाबू और नेहरूजी के मध्य वैचारिक मतभेद और उनके व्यक्तिगत संबंधों को फिर से परिभाषित करने की कोशिश करके भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के परस्पर सम्बन्ध की बारे में भ्रांति फैलाकर नफरत के बीज बोने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। काश आज की युवा पीढ़ी राजेन्द्र बाबू सरदार पटेल जवाहरलाल नेताजी सुभाष बोस लालबहादुर शास्त्री जैसे निस्वार्थ राज नेताओं को देख पाते !!
3 दिसम्बर 2021 को राजेन्द्र बाबु के 137 वें जन्म दिन पर हम भारतीय उनके श्री चरणों में कोटि कोटि श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं |
डा. जे. के. गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर