युग प्रवर्तक युवा सम्राट स्वामी विवेकानंद part 9

j k garg
स्वामी विवेकानंद जी के अंतिम शब्द थे हो सकता है मै अपने फटे हुए वस्त्र की तरह शरीर को उतार फेंकू और मेरा शरीर छोड़ दु परंतु मेरा काम नही रुकेगा।विवेकानन्द जी के शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन यानि 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला था उन्होंने उस दिन घंटों तक ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेद कर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चंदन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का सोलह वर्ष पूर्व अंतिम संस्कार हुआ था। उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मन्दिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानंद तथा उनके गुरु रामकृष्ण के सन्देशों के प्रचार के लिये 130 से अधिक केन्द्रों की स्थापना की। समय के साथ यह बात सही साबित हो गई है कि स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक के राष्ट्र निर्माण के समस्त प्रयत्नों में स्वामी जी के कार्यों और शिक्षाओं का अमूल्य योगदान रहा है और आगे भी रहेगा रहेगा | भारत के अध्यात्म, धर्म, दर्शन और सांस्कृतिक गौरव को विश्व मे प्रतिष्ठित करते हुए मानवता के कल्याण और राष्ट्र पुनरुत्थान के प्रति जीवन समर्पित कर देने वाले प्रेरक स्वामी जी का जीवन और ओजस्वी संदेश आज भी हमे जीवन का सही दिशा में मार्ग प्रशस्त कर रहे है। परम पूज्य स्वामी जी के 159 वें जन्म दिन के पावन अवसर पर हम सभी को उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुसरण करने का संकल्प लेना चाहिये | स्वामी विवेकानंद जी की जन्मतिथि को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में हमारे देश में मनाया जाता है। स्वामीजी सेकड़ो सालो से हमारे लिये लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
डा. जे. के. गर्ग

पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा, जयपुर

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