dr. j k gargगांधीजी आज भी हमारे समक्ष परोक्ष रूप से उपस्थित हैं एक विचारधारा के रूप में। गांधीजी मानते थे कि सभी को मानवता का पालन करना चाहिये | आदमी को मानवता में कभी भी विश्वास नहीं खोना चाहिए क्योंकि मानवता एक समुद्र के समान है जिसकी अगर कुछ बूंदें सुख भी जाये तो ना वो खाली होता है और ना ही सूखता है | आजादी का कोई मतलब नहीं अगर उसमे गलतियाँ करने की आजादी शामिल नहीं हो | गांधीजी के मुताबिक सबसे ताकतवर भी कमजोर हो सकता और बुद्धिमान भी गलती कर सकता है | मतभेद का होना एक स्वस्थ संकेत है किन्तु मन भेद नहीं होना चाहिए | “गांधीजी पूंजीवादी विचारधारा के विरोधी रहे क्योंकि वो शक्ति के विकेंद्रीकरण में विश्वास रखते थे इसलिए उन्होंने ग्राम पंचायतों को शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया, उन्होंने हमेशा से राम राज्य की कल्पना की जहां हिंसा नहीं अहिंसा का बोलबाला हो, गांधीजी ने कहा था कि, “मैं उस राम में आस्था नहीं रखता जो रामायण में हैं या मन्दिर में है में तो तो उस राम में आस्था रखता हूँ जो मेरे मन में हैं” | विडम्बना तो यही है कि आजकल समाज के कतिपय नेता बापू के बारे मे अनर्गल बेतुके बयान देकर उनके लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हैं और बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को शहीद बताने पर अपने को देशभक्त कहकर संसद के सदस्य बन जाते हैं और उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती है पता नहीं हम कहां जा रहे हैं | रघुपति राजा राम पतित पावन सीता राम सबको सन्मति दें भगवान ईश्वर अल्लाह एक ही नाम को भूल कर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करके गंगा जमुनी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं