दाम्पत्य जीवन की पवित्रता का पर्व करवा चौथ part 2

करवा चौथ के व्रत संबंध में पौराणिक एवं लोक कथाएं

dr. j k garg
कहा जाता है कि शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ के व्रत का महत्व बताया था। इसके अलावा द्रौपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत रखा था। तभी से पत्नियां अपने पति की सलामती के लिए यह उपवास रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा नाम की स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य अपनी पत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर पत्नी करवा वहां पहुंची और मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया। इसके बाद महिला यमराज के पास पहुंची और विनती करते हुए कहा कि हे भगवान! मगरमच्छ को आप नरक में ले जाओ। यमराज बोले, उसकी आयु शेष है, उसे नहीं मार सकते। इस पर करवा बोली, ‘अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप दें दूंगी।’ यह सुनकर यमराज मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे और उनकी पूजा की जाने लगी।

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