छठ पूजा का मुहूर्त
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30 अक्टूबर को शाम 5.37 बजे अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त है। वहीं 31 अक्टूबर को सुबह 6.31 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त है। छठ पूजा का व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हो जाता है।
छठ पूजा की मान्यता
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मान्यता है कि छठ पूजा की शुरूआत महाभारत काल से ही हुई थी। कर्ण रोजाना कमर तक पानी में घंटों खड़े रहकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते थे और पूजा करते थे। सूर्य देव की कृपा से ही वह महान योद्धा बने और उन्हें कवच-कुंडल प्राप्त हुए थे। कर्ण को सूर्य पुत्र भी कहा जाता है। इसलिए इस व्रत में भी कमर तक पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को जल अर्पण किया जाता है।
छठ पूजा की पौराणिक कथा
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पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियव्रत के कोई संतान नहीं थी और वह इस बात के बहुत दुखी रहते थे। महर्षि कश्यप ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा, राजा को पुत्र की प्राप्ति तो हुई, लेकिन महारानी मालिनी की कोख से मृत पुत्र पैदा हुआ।
धार्मिक कथा के अनुसार उसी समय माता छठी विराजमान हुई और उन्होंने कहा कि मैं सभी पुत्रों की रक्षा करती हूं। उन्होंने फिर मृत शिशु को हाथ लगाया और वह जीवित हो गया। राजा इससे बहुत खुश हो गए और उन्हें छठी माता की पूजा की। कहा जाता है कि तभी से इस व्रत की शुरूआत हुई।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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