अगर बच्चा बुहारी लगाए तो मेहमान आता है?

हम रोजाना घर में बुहारी लगाते हैं। संपन्न लोगों के घर में काम वाली बाई बुहारी लगाती है। यह एक सामान्य बात है। लेकिन अगर कभी कोई बच्चा खेल-खेल में बुहारी लगाए तो यह माना जाता है कि कोई मेहमान आने वाला है। तभी तो उसे कहते हैं कि क्या किसी मेहमान को बुला रहा है? इस मान्यता का कोई ठोस कारण अथवा वैज्ञानिक आधार विद्वानों की जानकारी में हो तो पता नहीं, मगर आम जनमानस उससे अनभिज्ञ है। वह तो इस तथ्य को परंपरागत रूप से मान्यता के रूप में ही लेता है। जहां तक मेरी समझ है, ऐसा प्रतीत होता है कि चूंकि बच्चा सहज व सरल होता है, मन-बुद्धि विशुद्ध होते हैं, उसमें अभी सांसारिक विकृतियां प्रवेश नहीं की होती हैं, इस कारण उसकी छठी इन्द्री प्रकृति के संकेतों को ग्रहण कर लेती होगी। चूंकि हम वयस्कों की नैसर्गिक शक्तियां कई प्रकार के झूठ, प्रपंच आदि के कारण शिथिल हो जाती हैं, इस कारण हमारी छठी इन्द्री संकेत ग्रहण करने की क्षमता खो देती होगी। संभव है कि अनुभव से ऐसी मान्यता स्थापित हुई हो कि बच्चा बुहारी लगाए तो वह किसी मेहमान के आने का संकेत होता है। यद्यपि बच्चे को उस संकेत का भान नहीं होता, मगर उस संकेत की वजह से वह सहज ही बुहारी लगाने लगता होगा। ऐसा छत पर बैठे-बैठे कौए के कांव-कांव करने पर भी कहा जाता है। शायद कौवे में भी संकेत ग्रहण करने की क्षमता हो।

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