इंदिरा गांधी को हमेशा याद किया जाता रहेगा

zzअजमेर 18 नवम्बर। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के निस्तारण के विषय में इंदिरा जी जैसे निर्णय लेने की शक्ति और सूझबूझ की आवश्यकता की है। वह साहस की प्रतिमूर्ति थीं जब तक बांग्लादेश विश्व के नक्शे पर होगा इंदिरा गांधी को हमेशा याद किया जाता रहेगा।
जैन पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. इंदिरा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष पर उनकी जयन्ती की पूर्व संध्या पर स्थानीय इन्डोर स्टेडियम के सभाकक्ष में शहर जिला कांग्रेस द्वारा वर्तमान वैष्विक परिवेष में देष को इंदिरा गांधी जैसे नेतृत्व की जरूरत विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कांग्रेसजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा की परमाणु परीक्षण के समय वैश्विक दबाव को दरकिनार करते हुए अपने वैज्ञानिकों को खुली छूट देने और विदेशी कूटनीति के साथ बिना किसी प्रतिबंध के भारत देश में अपने वैज्ञानिक शोध एवं प्रगति पथ पर बढ़ने की उनकी चिंतना काबिले तारीफ थी।
उन्होने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दुनिया को दिखा दिया कि इस देश की नारी महान व स्वाभिमान की मूर्ति है। देश के गौरव के लिए त्याग एवं बलिदान दिया है। वे एक ऐसी महान नेत्री थीं जिनकी बुद्धि, चतुराई व राजनैतिक दक्षता का गुणगान उनके विरोधी भी करते थे । बैंकों का राष्ट्रीयकरण, प्रीवी पर्स की समाप्ति, प्रथम पोखरण परमाणु विस्फोट, प्रथम हरित क्रांति जैसे कार्यों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा । गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व भी उन्होंने अदम्य साहस के साथ किया था । दस वर्ष की अल्पायु में ही इंदिरा गाँधी ने अपने हमउम्रों के साथ मिलकर ‘ वानरी सेना ‘ तैयार की गाँधी जी के असहयोग आदोलन में इस सेना ने प्रमुख योगदान दिया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुऐ प्रदेष कांग्रेस सचिव महेन्द्र रलावता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया हमें उनके रास्ते पर चलना चाहिए।
हेमंत भाटी ने कहा कि वर्तमान राजनैतिक माहौल देश के लिए खतरनाक है, फिरकापरस्त ताकतें सिर उठा रही हैं, ऐसे में हमारे पास इंदिरा गांधी जैसा नेतृत्व की जरूरत है। उन्होने कहा कि इंदिरा गांधी पद, जाति और संप्रदाय जैसे भेदभाव को नापसंद करती थीं। उनके पास दंभ या आडंबर के लिए कोई वक्त नहीं था। वह पाखंड अथवा धोखेबाजी को तत्काल पहचान जाती थीं। उन्हें भारतीय होने का गर्व था, साथ ही वह वृहद एंव सहिष्णु विचारों वाली एक वैश्विक नागरिक थीं।
अन्य वक्ताओं में डा. सुरेष अग्रवाल एवं डा. जे.के.गर्ग ने वृहद स्तर पर विचार व्यक्त करते हुऐ इंदिरा गांधी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ में कहा कि 1978 में कांग्रेस में दूसरी बार विभाजन हुआ। इसके बावजूद भी राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शानदार जीत हुई थी। उन्होंने कहा कि वह 20वीं सदी की महत्वपूर्ण हस्ती थीं, और भारत के लोगों के लिए अभी भी वह सर्वाधिक स्वीकार्य प्रधानमंत्री हैं। वह देश, विदेश और विश्व में बदलाव और उथल पुथल के दौर में रहीं और नियति ने उन पर प्रधान नायक की भूमिका अदा करने की जिम्मेदारी अर्पित कर दी। उन्होने ने कहा कि विकासशील देशों की स्वीकृत नेता थी इंदिरा गांधी, वह भारत की प्रधानमंत्री भर नहीं थी बल्कि विकासशील देशों की स्वीकृत नेता भी थीं। वह वैश्विक शांति में विश्वास करतीं थीं और उनकी बात को बेहद आदर के साथ सुना जाता था।
संगोष्ठी को कुलदीप कपूर, प्रताप यादव, गुलाम मुस्तफा, प्रमिला कौशिक, बलराम शर्मा, गिरधर तेजवानी, अमोलक सिंह छाबड़ा, विजय नागौरा, वैभव जैन, आरिफ हुसैन, विपिन बेसिल, अतुल माहेश्वरी, शैलेंद्र अग्रवाल, सबा खान, रवि शमार्, समीर शर्मा, अभिलाषा विश्नोई, रेनू मेघवाल, सहित कांग्रेसजनों ने भी संबोधित किया संचालन प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने किया।
पार्षद चंदन सिंह, सुनील कैन, चंद्रशेखर बालोटिया, निर्मल बेरवाल, मनोज भाटी, नौरत गुर्जर, दीनदयाल शर्मा, मोहम्मद शाकिर, श्याम प्रजापति, मनोज कंजर, मंजू सोनी, गीता गुर्जर, हेमंत जयोरिया, राजेश गोड़ीवाल, राकेश धाबाई, मनीष चैरसिया, लोकेश शर्मा, भूपेंद्र राणावत, महेंद्र जोधा, मुनीम तंबोली, अरुण कच्छावा, पप्पू तेजी, गिरजा यादव, समर धानका सहित कांग्रेसजन मौजूद थे।

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