महामंडलेश्वर हंसराम जी को भेंट किया गया अभिनंदन पत्र

hansram jiअजयनमरगर, अजमेर स्थित ईश्वार मनोहर उदासीन आश्रम में आयोजित समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम का अभिनंदन किया गया। इस मौके पर समाज की ओर से उन्हें अभिनंदन पत्र भेंट किया गया

अभिनन्दन पत्र
हमारे लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुम्भ 2016 में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण की ओर से पट्टाभिषेक समारोह आयोजित कर हरीशेवा धाम, भीलवाड़ा के महन्त स्वामी श्री हंसराम उदासीन को महामंडलेश्वर पद पर विभूषित किया गया। स्वाभाविक रूप से इस उपलब्धि से विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी सिंधी समाज की धार्मिक व आध्यात्मिक जगत में विशेष पहचान कायम होगी। स्वामी जी के इतने उच्चस्थ पद पर आसीन होने से पूरे समाज में हर्ष की लहर है और इस उपलक्ष में आज ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में आयोजित भव्य समारोह में आपका अभिनंदन करते हुए हम सब अत्यंत प्रसन्न, अभिभूत और गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं।
धार्मिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में आपके इस अति महत्वपूर्ण पद पर आसीन होने की यात्रा कठोर साधना और जनकल्याण के लिए सतत प्रयत्नशील रहने के अनेक पड़ावों से गुजरी है, जो कि हमारे लिए प्रेरणास्पद है।
आपका जन्म पौष कृष्णा अष्ठमी, शनिवार संवत 1883 दिनांक 30 दिसम्बर 1961 को हुआ। आप मात्र साढ़े छह साल की आयु में 10 मई 1968 से दादा गुरू बाबा शेवाराम साहिब की सेवा में समर्पित हुए। स्वामी जी ने बाबा श्री गंगाराम जी के देवलोकगमन के पश्चात् 6 अगस्त 1996 को 35 वर्ष की आयु में गद्दीनशीन हो कर हरिशेवा धाम, भीलवाड़ा की व्यवस्थाओं को संभाला। आपने धर्म व मानवता के प्रति समर्पित रहते हुए अनेकानेक अनूठे सेवा कार्य किए हैं, जो मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। आज इस आश्रम की ख्याति न केवल पूरे देश, अपितु विदेशों में भी है।
आपने आश्रम के अधीन खेत खलिहानों का विस्तार किया और समाज सेवा हेतु आवश्यक साधन जुटा कर सामाजिक व धार्मिक कार्य संपादित किए, जो कि अनवरत चल रहे हैं। आपने आध्यात्मिक उत्थान हेतु गुरुजन की इच्छानुसार भव्य दरबार साहिब, हरि मंदिर, समाधियों का निर्माण, जीर्णाेद्धार व विस्तार का कार्य किया। वर्तमान में इस धाम में श्रीचंद्र भगवान की आकर्षक मूर्ति, छह गुरुओं की समाधियां, धूणा साहिब, आसण साहिब व हरि सिद्धेश्वर मंदिर है, जहां प्रतिदिन नितनेम आरती, गुरुओं के वरसी उत्सव, प्राकट्य-जन्मोत्सव और अन्य उत्सव मनाए जाते हैं। उदासीन धूणा साहिब की चमत्कारी भभूत से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। आपने धर्मप्रेमी यात्रियों की सहूलियत के लिए सभी जरूरी सुविधाओं से युक्त हरि शेवा धर्मशाला का समय-समय पर विस्तार करवाया, जहां समाज के अनेक कार्यक्रम संपन्न होते हैं। इसी प्रकार आर. सी. व्यास कॉलोनी में रोगियों, परिजन व यात्रियों की सहूलियत के लिए हंसगंगा हरिशेवा धर्मशाला का लोकार्पण 22 फरवरी 2014 को किया। आपके निर्देशन में हरिशेवा धाम रिलीजियस एंड चौरिटेबल ट्रस्ट एवं हंसगंगा हरिशेवा चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना हुई, जिनके माध्मम से समय-समय पर सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक कार्य संपादित किए जाते हैं। धाम परिसर में स्थित हरिशेवा होम्यापैथिक चिकित्सालय का संचालन हो रहा है, जहां प्रतिदिन कई बीमार लाभान्वित होते हैं।
आपने बूढ़ा पुष्कर में हरिशेवा घाट, हरि हृदय घाट व मंदिर का निर्माण करवाया तथा अन्य विकास कार्यों हेतु प्रशासनिक व संस्थानिक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। आप सिंधी भाषा के विकास व संवर्धन के लिए भी योगदान देते रहते हैं।
आपने पिछले सिंहस्थ कुंभ, उज्जैन में जलपान से सेवा आरंभ करवाई थी। तत्पश्चात् इलाहाबाद, हरिद्वार, नासिक में भी विभिन्न सेवा कार्य, भंडारा आदि किए। इसी वर्ष सिंहस्थ कुंभ, उज्जैन में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन से संबद्ध श्री हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम, भीलवाड़ा की ओर से छावनी भी लगाई।
बाबा शेवाराम साहिब की प्रेरणा से बड़ौदा-गुजरात में स्थापित हरिशेवा गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल, हरिशेवा दरबार, सूरत गुजरात, कोडिनार-सौराष्ट्र, जनरल चिकित्सालय, उना सौराष्ट्र का भी सफ ल संचालन किया जा रहा है। इसी प्रकार राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हरिशेवा संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र 2006-2007 से भीलवाड़ा में संचालित है। इसके माध्यम से वेदाध्ययन और संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार आदि के अनेकानेक कार्य किए गए हैं।
धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अनुयाइयों के अनुरोध पर आप अनेक बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। आपने अब तक तनरीफ, स्पेन, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, पेरिस, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, जापान, चाइना, बैंकाक, जमायका, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान इत्यादि देशों की यात्रा की है। सन् 2004 में सिंध दर्शन और सांप्रदायिक सद्भावना के लिए संतों के 18 सदस्यीय दल के साथ 11 दिन की पाकिस्तान यात्रा की।
स्वामी जी का उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और सेवा कार्यों के लिए समय-समय पर प्रशासन, विभिन्न संस्थाओं, संगठनों व समाजों की ओर से सम्मान व अभिनंदन किया गया है। इनमें प्रमुख हैरू- राजस्थान सरकार की राजस्थान सिंधी अकादमी की ओर से सिंधु रत्न की उपाधि, अखिल भारतीय सिंधी समाज के उल्हासनगर में आयोजित 15वें विराट समारोह में अध्यात्म गौरव उपाधि।
स्वामी जी अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस पद पर रहते हुए स्वामी जी ने श्रीमद् भागवत महापुराण सिंधी देवनागरी के प्रकाशन एवं प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान दिया और इसके लिए भागवत रथयात्रा निकाली, जो कि 25 मार्च 2011 को तीर्थराज पुष्कर से आरंभ हो कर 11 सिंतबर 2011 को हरिद्वार में संपन्न हुई। इस रथ यात्रा के हम अजमेर वासी भी साक्षी रहे और उसमें भाग ले कर पुण्य अर्जित किया। इस रथ यात्रा को राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तरांचल, कर्नाटक, हरियाणा आदि में धर्मप्रेमियों का भरपूर सहयोग व सत्कार प्राप्त हुआ।
आपकी भावी योजनाओं में भीलवाड़ा में हॉस्पीटल का निर्माण, बूढ़ा पुष्कर में यात्री धर्मशाला और श्री श्रीचंद भगवान स्मारक का निर्माण आदि शामिल है।
प्रसंगवश यहा भीलवाड़ा स्थित हरिशेवा धाम उल्लेख करना उचित रहेगा। उसकी पृष्ठभूमि इस प्रकार हैरू- बाबा आत्माराम साहिब सन् 1829 ई. में भ्रमण करते हुए सिंध पाकिस्तान के नवाबशाह जिले के गांव भिरिया पहुंचे और वहां आश्रम की स्थापना की। बाबा आत्माराम जी के बाद इसी शृंखला 1869 ई. में बाबा मनीराम साहिब, 1899 ई. में बाबा कृपाराम साहिब और 19 जून 1947 को बाबा हरीराम साहिब के ब्रह्मलीन होने पर बाबा शेवाराम साहिब भिरिया दरबार की गद्दी पर आसीन हुए। दो माह पश्चात ही अवांछनीय देश विभाजन पर उन्हें धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए भीलवाड़ा आना पड़ा। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आपने भिरिया दरबार को यहां पुनर्स्थापित किया और इस स्थान का नाम हरिशेवा धाम रखा गया। सन् 1984 को बाबा गंगाराम साहिब ने इस महान गद्दी को सुशोभित किया। सन् 1996से इस आश्रम के धर्म व सेवा कार्यों को कर्मयोगी महंत स्वामी हंसराम जी अनवरत आगे बढ़ा रहे हैं।
वस्तुतरू सुख चाहो तो सेवा करो, सुख चाहो तो सुमिरन करो के मूल मंत्र को अपने जीवन में चरितार्थ करने वाले स्वामी जी जन-जन में सेवा कार्य के दैदीप्यमान प्रकाश स्तम्भ हैं। ऐसे महान कर्मयोगी महापुरुष का अभिनंदन करते हुए अजमेर का सिंधी समाज गद् गद् है। हमारी कामना है कि आप धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में और अधिक ऊंचाइयों को छुएं, ताकि सर्व समाज के अधिकाधिक लोगों का कल्याण हो।

नरेन शाहणी भगत, कंवल प्रकाश किशनानी, भगवान कलवाणी, गिरधर तेजवाणी, मुखी कन्हैयालाल, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, हरीश झामनानी, राधाकिशन आहूजा, प्रकाश जेठरा, जयकिशन लख्याणी, रमेश टिलवाणी, रमेश लख्याणी, मोहन लालवाणी, नारायणदास हरवाणी, खेमचन्द नारवाणी एवं समस्त सिन्धी समाज, अजमेर

अजमेर (राजस्थान)
07 जून 2016

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