बदलाव हो मगर बिखराव नहीं

सुमित सारस्वत
सुमित सारस्वत
श्री अखिल भारतीय सारस्वत ब्राह्मण धर्मशाला पुष्कर प्रबंध सभा के चुनाव 11 व 12 जून को धर्मधरा पुष्कर में होंगे। चुनाव को लेकर देशभर में समाज सदस्यों का उत्साह चरम पर है। इस बार अध्यक्ष पद के लिए करीब एक दर्जन दावेदार भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसके लिए कई महिनों से सोशियल मीडिया पर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। दावेदार देशभर में हर सदस्य तक नहीं पहुंच सकता है और न ही गांव-शहर घूमकर व्यापक प्रचार कर सकता है। ऐसे में समर्थकों को साथ लेकर सोशियल मीडिया को ही चुनावी अखाड़ा बना रखा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि वॉट्सएप में सक्रिय ‘सारस्वत समाज ऑल इंडिया’ समूह में दावेदारों के प्रचार से जुड़े दिनभर में एक हजार से अधिक संदेश साझा किए जा रहे हैं। कुछ दावेदारों या उनके समर्थकों पर तो सत्ता की लालसा इस कदर हावी है कि प्रचार के एक ही मैसेज को बार-बार, दर्जनों बार भेजते हैं। प्रचार की प्रचुरता से कई बार समूह का माहौल गर्मा जाता है। इसे देखकर लगता है कि बदलाव की बयार में कहीं समाज में बिखराव न आ जाए।
माहौल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुष्कर में इस बार होने वाले चुनाव काफी तनावपूर्ण होंगे। इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। समाज के बुजुर्गों से पता चला कि पूर्व में जब भी पुष्कर धर्मशाला के चुनाव हुए तब तनातनी हुई। इस बार भी होने का अंदेशा है। इसके मद्देनजर सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन से मदद मांगी गई है। हंगामे की वजह हर बार यही होती है कि समाज बदलाव चाहता है मगर वर्तमान पदाधिकारी सेवा के लिए और समय मांगते हुए सत्ता छोड़ना नहीं चाहते। शायद यही वजह रही कि बीते 9 वर्षों से लगातार एक ही कार्यकारिणी कार्य कर रही है। हैरत की बात है कि 60 वर्ष की आयु होने पर तो सरकार भी सेवानिवृत्ति दे देती है। वर्तमान अध्यक्ष बाबूलालजी उपाध्याय तो 61 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं। ऐसे में इस बार उन्हें भी बड़प्पन दिखाते हुए अपने पद की लालसा त्याग कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेनी चाहिए। वैसे भी वे अपने अमूल्य जीवन के 9 साल समाज को समर्पित कर चुके हैं। अब समाज के नए सेवकों को सेवा का अवसर दिया जाना चाहिए। इस बार कई लोग कतार में हैं जिन्होंने खुली आंखों में सेवा की सोच के साथ सत्ता का सुख भोगने का सपना संजोया है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो बदलाव के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं।
सामाजिक विकास के लिए बेशक बदलाव हो मगर सभी को याद रहे कि किसी भी स्थिति में सामाजिक बिखराव न हो। मिलकर प्रयास करें कि लोकतांत्रिक प्रकिया का सम्मान हो। समाज बहुमत के आधार पर जो आदेश दे उसकी पालना सुनिश्चित की जाए। नई शपथ के साथ सहयोग की सोच बने। नई पीढ़ी को प्रेरणा मिले। याद रखें अगर बिखराव हुआ तो बहुमान नहीं हो पाएगा।

-सुमित सारस्वत ‘SP’, सामाजिक विचारक, मो.09462737273

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