पांच लाख के पचास हजार
पीडित रमेश खटवानी के साथ हुई वारदात की जानकारी मिलते ही कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पीडित खटवानी से वारदात के संबंध में जानकारी जुटाई। इसके बाद पुलिस ने बैग में रखी रकम के संबंध में इस तरह पूछताछ शुरू कर दी जैस कि खटवानी खुद वह राशि कहीं से चुरा कर लाए हों। पुलिस के सवालों से खटवानी घबरा गए और जैसे पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाया, इसी आधार पर उन्होंने पचास हजार रूपए से भरा बैग बाईकर्स द्वारा उडाने की रिपोर्ट दे दी। अब सवाल यह उठता है कि पुलिस का खौफ किसमें है वारदात अंजाम देने वाले आरोपियों में या फिर इनका शिकार बनने वाले आमजन में?
यह कोई पहली घटना नहीं है कई बार ऐसा होता है कि पुलिस आमजन के साथ घटित घटना को दबाने के लिए उन्हें ही डरा धमका देती है जिससे कि मामला दर्ज ना हो। मदार क्षेत्र में अभी पिछले पांच दिन से रोजाना चोरी की वारदातें हो रही है। जब पीडित शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है तो पुलिस उसे यह कहकर लौटा देती है कि गलती तेरी है तूझे घर को सूना छोडकर जाना ही नहीं चाहिए। इस तरह उसकी शिकायत दर्ज करने की बजाय चोरी का जिम्मेदार उसे ही ठहरा दिया जाता है।
नवीन वैष्णव
