अपने कृत्यों पर प्रशासन पर दोषारोपण क्यूँ करते हैं

कीर्ति पाठक
कीर्ति पाठक
अजमेर की ट्रैफ़िक व्यवस्था को ले कर नेता , प्रशासनिक अधिकारी और नागरिक सभी चिंतित रहते हैं …
आम नागरिक अतिक्रमण को लेकर बहुत परेशान रहता है …
ट्रैफ़िक जाम को कोसता है …
संकरी सड़कों पर आँसू बहाता है …
अजमेर के पहले स्मार्ट सिटी ना बन पाने का दोष अजमेर के नेताओं पर मढ़ता है …
अब अजमेर के नागरिकों के भाग से छींका टूटा और राजस्थान का राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह अजमेर में मनाया गया …
( ये पोस्ट भ्रष्टाचार को target नहीं कर रही सो वो बात नहीं कर रहे )
तैयारियाँ हुईं …
अतिक्रमण हटाए गए , कुछ स्थान नो वेंडर ज़ोन declare किए गए …
कुल जमा अजमेर का चेहरा बदलने की कोशिश की गयी …
आज अस्पताल रोड गयी तो मेडिकल shops द्वारा पुनः अतिक्रमण किया हुआ दिखा … आम अजमेरवासी जो ट्रैफ़िक *दुर्व्यवस्था* से परेशान हैं , वे बीच सड़क में कार और motorcycle पार्क किए हुए दिखे ( असल में हमें जहाँ से शॉपिंग करनी है उसी दुकान के आगे गाड़ी पार्क करने की ज़िद्द है , थोड़ा आगे जगह देख कर पार्क करेंगे तो पेट्रोल जलेगा और शान के ख़िलाफ़ पैदल चलना पड़ेगा ) सड़क की दूसरी ओर खाने के ठेले व थडियाँ पुनः आबाद हो रही हैं …
बस एक प्रश्न बार बार कौंध रहा है – हम परेशान होने का ढोंग क्यूँ करते हैं … ये अव्यवस्था हम ही तो फैलाते हैं … हम अजमेर के नागरिक … हमें अपने कृत्यों पर प्रशासन पर दोषारोपण क्यूँ करते हैं … क्या आप के पास इस का जवाब है ??

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