*स्टैडिंग वारंटियों मफरूरों एवं इनामी अपराधियों को पकड़ने के संदर्भ में*
*विधि का प्रतिपादित सिद्धान्त है कि विलम्ब से न्याय का हनन होता है जब राजस्थान में हजारों की संख्या में अपराधी न्यायालयों से जमानतें कराकर फरार हो गए तो केस फाईल बन्द हो जाती है और ना तो उसमें गवाह बुलाए जा सकते हैं ना ही केस आगे चलता है, *अजमेर जैसे जिले में ही फरार आरोपियों की संख्या 6000 थी अन्य जिलों का तो आप अन्दाजा लगा सकते हों*, इस पर पुलिस मुख्यालय ने एक अभियान चलाया कि फरार मुल्जिमों को पकड़कर न्यायालयों में पेश किया जाए ताकि लम्बित केसों का निस्तारण हो सके। इस संदर्भ में अजमेर जिला पुलिस ने राजस्थान पुलिस मुख्यालय के इस अभियान में प्रथम स्थान प्राप्त कर एक नये आयाम और अपनी टीम वर्क का परिचय महानिरिक्षिका महोदया मालिनी अग्रवाल जी एवं पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र चौधरी जी के नेतृत्व में जो कीर्तिमान स्थापित किया है जो अपने आप में अद्भुत हैं। इस बार बीते सात महीने में अजमेर पुलिस ने 1342 वारंटियों को दबोचा है और काफी बड़ी संख्या में मफरूर व इनामी अपराधी भी पकड़े गए हैं जिससे अपराध जगत में हड़कम्प मचा हुआ है और अपराधियों के न्यायालयों में पेश करने से केस भी गतिमान हुए हैं, आम तौर पर न्यायालयों पर यह आरोप लगता है कि वहां हजारों की संख्या में केस लम्बित हैं परन्तु मुल्जिमों के अभाव में न्यायालय भी क्या कर सकता है ? जब तक मुल्जिम ही अदालत में नहीं होगा तो केस कैसे शुरू होगा ? अपराधी जमानत कराकर गायब हो जाते हैं और उनके वारंट निकल जाते हैं जब तक अपराधी पकड़ा ना जाये तब तक जमानतीयों पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती और अगर केस में किसी अपराधी को मफरूर घोषित किया जाए तब वो केस बमुष्किल तमाम आगे चलता है परन्तु यह बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद होता है तब उस मफरूर अपराधी की सम्पत्ति को 82/83 की कार्यवाही कर नीलाम किया जाता है उसमें भी सम्पत्तियों का पहले रिकॉर्ड मंगाया जाता है फिर लम्बी प्रक्रिया के बाद तहसीलदार द्वारा नीलाम किया जाता है जिसमें भी अपराधियों के भय से कोई बोलीदाता उस विवादित सम्पत्ति की नीलामी में भाग ही नहीं लेता है।
अजमेर पुलिस की इस कार्यवाही से न्यायिक अधिकारी भी बहुत ही प्रसन्न हैं कि पुलिस ने हमारे द्वारा निकाले गिरफ्तारी वारंटों का प्रसंज्ञान लिया और फरार अभियुक्तों को पकड़ना शुरू किया, यह एक अच्छी पहल मुझे एक बहुत वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी ने मुलाकात में अपनी प्रसन्न जाहिर करते हुए कहा कि मेरे न्यायिक कार्यकाल में मैंने कभी भी इतने स्टैडिंग वारंटियों को ना तो पकड़ते देखा और ना ही इतनी जमानत की अर्जियां लगती देखीं जो अब लग रही हैं। न्यायिक प्रक्रिया के लिए यह एक शुभ संकेत है, अजमेर के जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र चौधरी जी व उनकी टीम बधाई की पात्र है और इसी प्रकार अगर वे *लोग फरार अपधियों को पकड़ते रहे तो न्यायालय में केस गतिमान होंगे और विलम्ब से न्याय का हनन नहीं होगा*।
*आपका अपना राजेश टंडन, वकील, अजमेर।*