अंधेर नगरी चौपट राजा ?
यूँ तो हमारा शहर जन भागीदारी और प्रशासनिक सेटिंग के कारण ‘ डस्टबीन ‘ में तब्दील हो चका है।
आपको कुछ सलाह दूंगा कि भैया ज़रा देख कर थूके । किसी व्यक्ति पर गिर गया तो कोई बात नही। वह गुस्सा मैनेज कर लेगा। भले ही उसने एंगर मैनेजमेंट ( धर्म ) का कोर्स ना किया हो । मगर किसी मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट ( धार्मिक स्थल , धर्मगुरुओ / बाबाओ की दूकान ) पर गिर गया तो खेर नही।
आप पर चारो ओर से हमला हो सकता है।
धन बल , जन बल , भीड़ तन्त्र , पाश्विक बल और नेता तन्त्र आपको इस कदर घेर लेगा की आप भी सोचने लगेंगे की इससे तो खुद की जेब में ही थूक लेता तो ज्यादा अच्छा होता।
क्या बताये शहर में मैनेजमेंट ( धर्मगुरुओ / लाजनर्स ) के ढेरो कॉलेज खुल गए है , कि इस मन्दी में काम कम और दलाल ज्यादा हो गए है।
इसी लिए स्टेट सचिवालय , केंद्रीय सचिवालय , न्याय के क्षेत्र में भी अपनी घुसपैठ की मार्केटिंग करके , बाहर के आयतित मुर्गो को हलाल किया जा रहा है।
दलाल टू दलाल मामला महंगा होता जा रहा है।
जब भी आप घर से बाहर निकलेंगे तो आपके स्वागत हेतु कौमी एकता की अनूठी मिसाल उपलब्ध होगी , प्रशासन की सेटिंग / मंथली के कारण ही सम्भव हो पायी है। घर के बाहर निकलते ही सूअर विद फेमिली और देशभक्ति की मिसाल गौ ~ माता और उनके बिछड़े हुए बछड़े आपके स्वागत में दिन और रात उपलब्ध मिलेगे।
फिर थोडा सा चलते ही अवैध भारी वाहन , अवैध प्राइवेट बसो के अनेक अवैध बस स्टैंड्स , चिकन , अंडे और पानी बताशे के ढेरो अवैध ठेले हर एक किलोमीटर पर उपलब्ध मिलते है , जो प्रशासनिक सेटिंग के चलते ही सम्भव हो पाया है।
आम आदमी , बुजुर्ग और बच्चे आये दिन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते है । कई तो मृत्यु को प्राप्त हो जाते है पर प्रशासन अपने भृष्ट तन्त्र को ज़िंदा रखने के इस बदतर ट्रैफिक को सुधारने के लिए कुछ नही करता है।
जनता चाहे मरे तो मरती रहे।
मंथली की पहुंच अधिकारियो और नेताओ तक होती है । जिसके कारण ये दोनों अंधे और बहरे बने रहते है।
राजीव शर्मा ; अजमेर ।