यूपी उपचुनाव में बीजेपी की हार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करारा झटका लगा है। वाराणसी के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बीजेपी समर्थित अपना दल की उम्मीदवार कृष्णा पटेल को हार का सामना करना पड़ा। 16 मई से 16 सितंबर के बीच 57 हजार लोग उनकी पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ गए। मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अंदर आने वाली रोहनिया सीट को मोदी की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था। मोदी ने चार महीने पहले ही लोकसभा चुनाव में वाराणसी में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया था। तब इस विधानसभा क्षेत्र से मोदी को 1.19 लाख वोट मिले थे। लेकिन चार महीने बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में मोदी की यह लहर पूरी तरह से गायब दिखी। पार्टी की ओर से पूरा जोर लगाने के बावजूद अपना दल उम्मीदवार कृष्णा पटेल इस सीट पर जीत लायक वोट नहीं जुटा पाईं। वह समाजवादी पार्टी के महेंद्र पटेल से 1400 वोटों से चुनाव हार गईं। उन्होंने 61672 वोट मिले।
रोहनिया उपचुनाव में बीजेपी की सीधी दावेदारी भले ही नहीं थी, लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल के संसद में पहुंचने से खाली हुई इस सीट पर अपना दल प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार की जिम्मेदारी रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को दी गई थी। ऐसा कुर्मी वोटों के साथ भूमिहार वोटरों को भी अपने पक्ष में खींचने की रणनीति के तहत किया गया था। यही नहीं संघ भी बीजेपी के पक्ष में प्रचार में जुटा हुआ था। इसके साथ ही बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी यहां रैली की थी। रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में तीन लाख 64 हजार 519 वोटर हैं। इसमें 40 फीसदी मतदाता कुर्मी जाति के हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसी समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया था। अपना दल की कृष्णा पटेल के अलावा एसपी उम्मीदवार महेंद्र सिंह पटेल, कांग्रेस की भावना पटेल और कौमी एकता दल के प्रत्याशी डॉ. शिवाजी कुर्मी जाति के ही थे। रोहनिया समेत सभी उपचुनाव नतीजों से यह बात साफ हो गई है कि लोकसभा में बीजेपी को मिली जीत दरअसल, नरेंद्र मोदी की जीत थी, पार्टी की नहीं।
1 thought on “मोदी का जादू अपने ही संसदीय क्षेत्र में गायब”
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Nice reality