तो भविष्य में भाजपा का दिल्ली में चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है क्या?

ओम थानवी
ओम थानवी

मोदी सरकार ने दिल्ली सरकार के हाथ बांधकर, दिल्ली राज्य की सत्ता जनता की जगह षड्यंत्रकारी उपराज्यपाल के हाथों में सौंप दी है, जिसे खुद केंद्र चुनता और अपनी मरजी पर रखता-हटाता है। यह लोकतंत्र की बुनियादी भावना पर कुठाराघात है। यह मैं नहीं कह रहा, कानून के दिग्गज जानकर – मार्कंडेय काटजू, केके वेणुगोपाल, गोपाल सुब्रह्मण्यम, केटीएस तुलसी आदि – कहते हैं।

केंद्र सरकार का यह तर्क पोच है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। केंद्र द्वारा शासित क्षेत्र चंडीगढ़, पुदुच्चेरी आदि क्षेत्र हैं, दिल्ली राज्य ही है भले उसका पूर्ण राज्य का दर्जा अभी लंबित है। इसका सीधा प्रमाण यह है कि दिल्ली में विधानसभा है, वहां चुनाव होते हैं और जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है जो सरकार बनाते हैं। यह चुनी हुई सरकार अगर दिल्ली शासन का मंत्रिमंडल नहीं, केंद्र चलाता है तो इससे बड़ा मजाक लोकतंत्र के साथ क्या हो सकता है? अब यह साफ हो चुका है कि नजीब जंग केंद्र का खेल खेल यहे हैं। उनके इस गंदे रूप पर जस्टिस काटजू की यह टिप्पणी बिलकुल सटीक है – It is evident that Najeeb Jung is behaving like His Master’s Voice. Like Faust, he has sold his soul to a Mephistopheles.

सर्वोच्च न्यायालय के अब तक के फैसलों से बहुत संभव लगता है कि वहां दिल्ली सरकार के मामले में केंद्र की अधिसूचना गैर-लोकतांत्रिक साबित हो। मगर सबसे बड़ी हैरानी इस बात पर होती है कि दिल्ली चुनाव के अपने घोषणापत्र में पूर्ण राज्यत्व का वादा करने वाली भाजपा दूसरी पार्टी की सरकार बनते ही गैर-लोकतान्त्रिक रवैये पर उतर आती है और वे अधिकार भी छीन लेती है जो अब तक कायम थे – तो भविष्य में भाजपा का दिल्ली में चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है क्या?
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की फेसबुक वाल से साभार 

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