चैनलों को पैसे देकर अपनी खबर चलवा रहे हैं केजरीवाल

arvind kejariwal 72 अगस्त को दिल्ली में कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किया। इस विरोध का एक कारण केजरीवाल के 526 करोड़ रुपए के प्रचार का बजट भी है। असल में कांग्रेसी केजरीवाल की रणनीति को समझ ही नहीं रहे हैं। न्यूज चैनलों के दोहरे मापदण्ड से कांग्रेस, भाजपा आदि सभी राजनीतिक दल परेशान हैं। शुरू में तो केजरीवाल ने भी गुस्सा जताया, लेकिन केजरीवाल के समझ में आ गया कि पैसा देकर चैनलों पर कुछ भी चलवाया जा सकता है। यहां तक खुद के खिलाफ वाली खबर चलाने में भी चैनलों को कोई एतराज नहीं होता है। लोग देख रहे हैं कि केजरीवाल का कोई भी विज्ञापन एक से दो या तीन मिनट तक होता है। असल में यह विज्ञापन नहीं, बल्कि केजरीवाल की खबर हैं। इस खबरनुमा विज्ञापन में पीएम नरेन्द्र मोदी, दिल्ली पुलिस से लेकर अखबार और न्यूज चैनलों के खिलाफ बातें कही गई हैं। इसलिए केजरीवाल व दिल्ली सरकार ने प्रचार का बजट 526 करोड़ रुपए रखा है। केजरीवाल को पता है कि जो चैनल वाले 10 सैकंड के विज्ञापन के लाखों रुपए वसूलते हंै, उन्हें दो मिनट की खबरनुमा विज्ञापन के करोड़ों देने पड़ेंगें। हम सबने देखा कि जब से केजरीवाल ने खबरों के पैसे देना शुरू किया है, तब चैनलों में केजरीवाल सरकार की बुराई बंद या कम हो गई है। केजरीवाल के हर विज्ञापन में चैनल भी निशाने पर होते है। करोड़ों के विज्ञापन के बाद ही चैनल वालों ने केजरीवाल के एक-एक घंटे के इंटरव्यू भी दिखाएं हैं। इस शर्त के साथ की इंटरव्यू में कोई विज्ञापन नहीं होगा, क्योंकि इंटरव्यू अपने आप में विज्ञापन है। असल में केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के प्रचार के लिए 526 करोड़ रुपए नहीं रखे हैं, बल्कि चैनल और अखबारों के ही खिलाफ खबरे चलवाने के लिए धनराशि रखी है। इसे केजरीवाल की समझदारी ही माना जाना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

error: Content is protected !!