कृषि क्षेत्र की दुर्दशा !

sohanpal singh
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खाद्य एवं कृषि क्षेत्र के जानेमाने विशेषज्ञ श्री दविंदर शर्मा , जब यह कहते हैं की सरकार की कृषि निति और खेती की बाते की वही दशा है जो आँखों से दिव्यांगों चार लोग और हाथी की कहावत है उन चारो दिव्यांगों को जब हाथी की पहचान करने को कहा गया तो उन्होंने जो कहा था सरकार भी ठीक उसी प्रकार से किसानो और खेती के बारे में वैसा ही व्यव्हार करती है जो कि उसकी नाकाम नीतियों से परिलक्षित हो रहा है ? ? छोड़ दो 67 वर्ष की बात केवल दो वर्षो की बात करो अगरबस की बात नहीं थी तो जनता को गुमराह क्यों किया? उपाय भी सरकारों को ही निकलने होंगे क्योंकि हम कृषि प्रधान देश आज भी अपनी कृषि निति नहीं बना सके क्या यह भी हमे अमेरिका ही सिखाएगा ? सरकार को सरकारी एमएसपी का ड्रामा बंद करके किसानो की उपज को सुरक्षित रखने के उपाय करने चाहिए जहाँ किसान मांग के अनुसार अपनी उपज बेच सके । क्योंकि भण्डारण की कमी के कारण किसान एमएसपी से भी कम कीमत पर बिचौलियों और दलाल आढ़तियों के पास अपनी उपज गिरवीं रखने को मजबूर हो जाते है ? हमारा तो सुझाव है कि एक रूपये और दो रुपये वाली खैरात में बांटे जाने वाली व्यवस्था के स्थान सरकार को पी डी एस यानि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समाप्त करके बीपीएल कार्ड धारको को कैश ट्रांफर करना चाहिये इसके लिए स्मार्ट कार्ड या रूप्ये कार्ड जारी करने से ही योजना लागू की जा सकती है। इस व्यवस्था से जहाँ सरकार को ऍफ़ सी आई और आर ऍफ़ सी को केवल अपनी जरूरत के हिसाब से खरीद सिमित करनी पड़ेगी भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी ? क्योकि आज पीडीएस का जो गेहूं चावल जनता के लिए आता है वह जनता से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है ? बीपीएल कार्ड धारक कही से भी अनाज खरीदे उसे कैश में ही पैसा ट्रान्सफर हो जाना चाहिए ! पीडीएस सिस्टम अपने आप स्क्रेप हो जायेगा जो भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा अड्डा है ?

एस. पी सिंह, मेरठ ।

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