मूल: मोहन थानवी
शाहिद
डींह डिट्ठे
बाज़ार में
शहीद थी वई इन्सानियत
थ्यो हो क़त्ल
ख़लक़ बि घणीं हुई
सुरता बि बीठा हुया
शाहिदी डियण लाइ, पर
को बि न हुयो शाहिद !
82A, शार्दूल कालोनी बीकानेर, 334001 संस्थापक अध्यक्ष – मोहन थानवी 9460001255
अनुवाद: देवी नागरानी
गवाह
दिन दहाड़े
बाज़ार में
शहीद हो गई इन्सानियत
हुआ था क़त्ल
भीड़ भी बहुत थी
हवलदार भी खड़े थे
ज़मानत देने के लिए लेकिन
कोई भी नहीं था गवाह !
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