आरक्षण समस्या के समाधान हेतु सुझाव

आलोक भारद्वाज शर्मा
आलोक भारद्वाज शर्मा
कभी गुर्जर, कभी जाट और अब पटेल { राजपूत} क्या बकवास हैं !
एक ब्राह्मण होने के नाते इस समयसा का एक सुझाव देना चाहूंगा भाजपा मोदी सरकार को !
अगर भाजपा मोदी सरकार वाकई में देश के लोगो के लिए अच्छे दिन का व्यादा करती हैं तो केवल २ सुझाव सुन ले ?

पहला सुझाव : सभी सरकारी स्कूलों में बहुत ही बढ़िया स्तर की शिक्षा प्रदान करवाये ,क्यूंकि सभी स्कूलों में सभी सरकारी शिक्षक बिना अच्छी शिक्षा प्रदान कर बहुत मोटी मोटी तनख्वाह पा रहे हैं, हम सभी जानते हैं.

दूसरा सुझाव : सरकार भारत में उच्ये शिक्षण संस्थानों जैसे मेडिकल,इंजीनियरिंग, आई आई टी व् एम बी ये जैसे संस्थानों की संख्या बढ़ाए- मोदी अपने विदेश टूर्स व् सभी नेताओ पे खर्चे काम करे और वह बजट शिक्षा पे लगाये , जब सभी जनरल के बच्चो को उचय शिक्षण संस्थाओ में वर्तमान फीस से एक चौथाई फीस में अध्यन करने का मौका मिलेगा तो कोई जनरल जाती के लोग आरक्षण की मांग नहीं करेंगे.

तीसरा सुझाव : यह दो सुझाव भाजपा सरकार बहुमत में होकर भी पास नहीं करा सकती तो सभी जातियों को मिलने वाला आरक्षण तुरंत बंद करे और सभी जातियों को आर्थिक आधार पे आरक्षण दे , वार्ना भारत की जनता भाजपा को कभी माफ़ नहीं करेगी- यह आज के भारत का बहुत ही जवलंत मुद्दा हैं.
सभी फेसबुक के साथियों से निवेदन हैं यह तीन सुझाव के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करे.
एक खिलाडी भाई के सुझाव भी जोड़ रहा हूँ.
१. मोदी भाजपा सरकार बदलाव की राजनीति व् जुमलों से सत्ता में आई हैं. इसलिए यह सुझाव हैं भाजपा सरकार को
भारत के सभी राज्यों के सभी ज़िलों में एक इंजीनियरिंग,मेडिकल,आई आई एम,आई आई टी तथा नेशनल इंस्टीटुए ऑफ़ स्पोर्ट्स की स्थापना करे. जिससे भारत के सभी जनरल वर्ग के लोगो को ६०%-७०% अंक लाने पे सभी उच्ये संस्थानों में सीधा दाखिला मिल सके तथा जनरल वर्ग के लोगो को केवल वर्तमान फीस से आधी से भी काम फीस देनी पड़ी. क्यूंकि इस सुधार द्वारा ही आरक्षित वर्ग को मिलने वाला ४८% आरक्षण व् जनरल वर्ग को ६०-७०% पे सीधा दाखिला ही दोनों वर्गों को अंतर को काम कर सकता हैं.
२. खेल संस्थान नेशनल इंस्टीटुए ऑफ़ स्पोर्ट्स की स्थापना सभी राज्यों में अधिक से अधिक हो , जिससे हमारे देश से क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलो में भी खिलाड़ी अपना नाम कमा सके आज केवल क्रिकेट पे ही बहुत अधिक बजट खर्च हो जाता हैं .उसमे भी क्रिकेट में जितनी सट्टे बाज़ी होती हैं, कितनी मैच फिक्सिंग होती हैं, कुछ किया आपने खेलो के लिए केवल घूमते ही रहोगे.

इन सभी सुझावों को क्रियान्वित करने पे प्रधान मंत्री मोदी को अपने विदेशी दौरे व् मंत्रीओ के खर्चो को काम करना होगा तथा व् राशि शिक्षा बजट पे खर्च करनी होगी. हमें विदेशी निवेश करवाकर विदेशी कोम्पनिओ का गुलाम व् मज़दूर नहीं बनना हैं.हमें तो स्वाभिमान के साथ बड़ी बड़ी कोम्पनिओ में उचय पदो पे बैठना है. एक फैक्ट्री लगने पे केवल १००० या २००० लोगो को ही रोजगार मिल पाटा हैं. पहले मोदी सरकार अपने मंत्रीओ को मिलनी वाली सब्सिडी खत्म करे फिर जनता से गैस सब्सिडी छोड़ने की बात करे.

क्या यह असंभव हैं ?
मोदीजी को ज्ञात करा दू आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिला में एक छोटा सा क़स्बा हैं पुट्टपर्थी श्री सत्य साईं बाबा का आश्रम जहाँ एम बी ये व् खेलो से संभातीत पाठ्यकर्म केवल १/४ फीस पे उपलब्ध कराया जाता हैं. व् भी सारा खर्च साईं बाबा ट्रस्ट उठाती हैं.
तो क्या भारत सरकार अपने ख़ज़ाने से शिक्षा पे अधिक व्यये नहीं कर सकती क्या ?
परिवर्तन की राजनीति करके सत्ता पे आये थेय परिवर्तन करके दिखाओ, केवल चिकने चुपड़े भ्रामक भाषण देकर काम नहीं चलेगा कुछ कर के दिखाओ मोदी भाजपा सरकार या बहार बैठ जाओ. इसके बाद जनरल वर्ग सरकार से कभी आरक्षण की मांग नहीं करेगा.
आलोक भारद्वाज शर्मा {अजमेर}.

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