वे कलम का कागज से, दंगा करवाने वाले हैं

राजेन्द्र गुप्ता
राजेन्द्र गुप्ता
वे कलम का कागज से,
ैदंगा करवाने वाले हैं,

लेकिन हम दंगाइयों को
अब नंगा करने वाले हैं।

सोशल मीडिया की आड़ में,
वे छद्म राष्ट्रीयता ग़ढ़ते हैं,

मोदी हैं विकास पुरुष,
इसका दम्भ वे भरते हैं।

सत्ता उनके लिये भाई,
वेश्या सा किरदार है,

साम्प्रदायिकता का दावानल,
हर गली-बाजार है।

दाल में काला होता है,
वे काली दाल दिखाते हैं,

सुरा सुंदरी उपहारों की,
खूब मलाई खाते हैं।
.
विश्व निवेश के झूठे आंकड़े,
बढ़-चढ़ कर वे ग़ढ़ते हैं,

अपने दौरों में पूंजीपतियों का,
टोला लेकर चलते हैं।

कालेधन का काला सच,
वे फाइलों में दबा बैठे,

हर खाते में 15 लाख,
देने की बात भुला बैठे।

लोकतंत्र की संप्रभुता पर,
कर रहे आघात हैं,

राम मंदिर इतिहास हुआ,
अब बीफ का प्रतिघात है।

साठ साल की लूट पे भारी,
आज तुम्हारा झूठ है,

तुम्हारे नकलीपन के आगे,
लोकतंत्र सिर्फ ठूँठ है।

बिहार चुनाव जीतने को,
ओवैसी की भी आड़ ली,

बधाई बिहारी जनता की
तुम्हारी नीयत ताड़ ली।

सारी दुनिया समझ रही,
खेल तुम्हारा गंदा है,

तुम्हारे झूठ के आगे तो,
गोयबल्स शर्मिंदा है।

रोटी तुम नहीं दे सकते हो,
खून से धरती रंग सकते हो,

सेक्युलरिज्म का नाम ले,
तंज सदा तुम कसते हो।

अब भी वक्त है सांप्रदायिकों,
जल्द होश में आ जाओ,

मतदाता ने सर बैठाया,
कुछ रहम उस पर तो खाओ,

जो इतिहास भुला देते हैं,
वे जाते कूड़ेदान में,

इण्डिया शाइनिंग का नारा भी,
गया था कचरेदान में।

अब भी वक्त है संभल जाओ,
जनता गिन-गिन खबर लेगी,

अगले चुनाव में तुमको भी,
दिन के तारे दिखा देगी।

? देश भर में साम्प्रदायिकता का जहर फैला रहे कुछ कथित बुद्धिजीवियों को जवाब देती मेरी इस रचना को कृपया अधिक से अधिक ग्रुपों में शेयर करें।

मेरी यह रचना कैसी लगी, कृपया मेरे What’s App नंबर 09611312076 पर अवश्य बताएं। इससे मुझे आगे भी लिखने की प्रेरणा मिलेगी।
राजेन्द्र गुप्ता
09611312076

1 thought on “वे कलम का कागज से, दंगा करवाने वाले हैं”

  1. बहुत अच्छी कविता है आपकी वैसे मैं कविता पढ़ता नहीं हूँ लेकिन आपके कविता के दो लाइन पढ़कर नहीं रहा गया तो मैंने पूरा पढ़ा है । बहुत अच्छा लगा ।

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