दुनिया में एक बार फिर छाया *नेट न्यूट्रैलिटी* का मुद्दा

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
हाईस्पीड इंटरनेट एक यूटिलिटी हे और इसे पाना उपभोक्ता का अधिकार जिस तरह सरकार की और से बिजली और पानी पे निगरानी के जरुरत नहीं हे उसी तरह इसको भी यही समझना चाहिए । कुल मिलाकर बात यह है की इंटरनेट को लक्जरी सुविधा नहीं माना जा सकता और यह फेसला आया हे अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट कोर्ट ऑफ़ अपील की और से ।
यह केस जुड़ा था *नेट न्यूट्रैलिटी* और उपभोक्ता के अधिकार से ।
कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ़ हो गया हे की अब ब्रॉडबेन्ड प्रोवाइड कराने वाली सभी कम्पनिया बिना ब्लॉकिंग के और बिना किसी बाधा के ओर बिना स्पीड धीमी किये इंटरनेट की हाई स्पीड सेवाएं देने के लिये बाध्य हो गई हे । अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी चाहते है कि अमेरिका की कोर्ट द्वारा ब्रॉडबेन्ड उपलब्ध कराने वाली कम्पनियो को दिए गए इस आदेश की सख्ती से पालना हो ।
आने वाले समय में अमेरिका की कोर्ट के दिये गये इस आदेश का दूरगामी प्रभाव भारत में इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कम्पनियो के ऊपर भी देखने मिलेगा । कुछ कम्पनियो द्वारा विदेशी कम्पनियो के साथ मिल के भारत में जो इंटरनेट सेवाओ की निगरानी का जो षड्यंत्र रचा जा रहा हे उनके मंसूबे कामयाब नहीं होंगे और उनकी उपभोक्ता को लूटने की मंशा को झटका लगेगा ।
उपभोक्ता को *नेट न्यूट्रैलिटी* के लिये हमेशा जागरूक रहने की जरुरत हे नहीं तो यह कंपनिया इन सेवाओ की आड़ में उपभोक्ताओं की जेब पे डाका डालने से नहीं चूकेगी ।

हेमेन्द्र सोनी @ BDN ब्यावर

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