माटी का दीया

(दीपावली की शुभकामनाओं के साथ)

रास बिहारी गौड़
रास बिहारी गौड़
मैं माटी का दीया हूँ
स्नेह संग जीया हूँ

द्वार देहरी जला हूँ
आले आँगन पला हूँ
आँधियों से लड़ा हूँ
सूर्य समक्ष खड़ा हूँ
सितारों का नायक हूँ
जागरण का गायक हूँ

पावन प्रेम पपीहा हूँ
मैं माटी का दीया हूँ
रौशनी का नग्न नृत्य
चमकता झूठा हर सत्य
व्यूह बनकर डस रहा
देखो,अँधेरा हँस रहा
बेबस बाती के द्वंद्व पर
हवाओं के अनुबंध पर
आग का अभिनन्दन है
उन्मादों का वंदन है

मैं सूली टंगा मसीहा हूँ
मैं माटी का दीया हूँ

आरती के थाल में
अजान देती चौपाल में
राहें रोशन करता हूँ
जगमग सांझे धरता हूँ
फूल सा खिल जाता हूँ
धूल में मिल जाता हूँ
जीने की चाह जगाता हूँ
जल बुझ सबको जलना है
जीवन लौ में ढलना है
उजास का ठिकाना,

ज्योति का ठीया हूँ
मैं माटी का दीया हूँ

रास बिहारी गौड़

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