संसार भर से समर्थन के स्वर

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
डॉ. मोहनलाल गुप्ता
पिछले कुछ दिनों में एक साथ कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें सम्पूर्ण संसार से भारत के पक्ष में समर्थन के स्वर और भारतीय सेना की भीम-गर्जना स्पष्ट सुनाई दे रही हैं। 18 मई को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के 15 न्यायाधीशों ने एक स्वर और एक राय से कुलभूषण जाधव के मामले में न केवल पाकिस्तान के झूठ को मानने से मना कर दिया अपितु भारत द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार करके पूरे संसार के समक्ष दोनों देशों के अंतर को गहराई से रेखांकित भी किया। यह फैसला आने वाले समय में इतने गहरे असर डालेगा कि पाकिस्तान में नवाज शरीफ का तख्ता पलटा जा सकता है और वहां एक बार पुनः सैनिक शासन थोपा जा सकता है।
21 मई को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब में दिए गए भाषण में भारत को आतंकवाद से पीड़ित बताकर भारत के साथ सहानुभूति व्यक्त की और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भारत के विरुद्ध जहर उगलने से रोकने के लिए माइक पर फटकने तक नहीं दिया। पाठकों को याद होगा कि 2 फरवरी 2017 को इसी स्तंभ में मैंने लिखा था कि हम भारतीयों को डोनाल्ड ट्रम्प से प्रसन्न होना चाहिए। क्योंकि ट्रम्प के डर से पाकिस्तान ने हाफिज सईद को नजरबंद किया है, उसके बैंक खाते सीज किये हैं और हाफिज को पाकिस्तान से बाहर निकलने पर रोक लगाई है। ट्रम्प के डर से पाकिस्तान ने उन आतंकी समूहों को ढूंढ-ढूंढकर मारा है जिन्होंने सिंध में एक सूफी दरगाह पर हमला करके 150 लोग मार दिये थे। अब पुनः ट्रम्प ने भारत की चिंताओं का समर्थन करके और पाकिस्तान को उसकी हैसियत का शीशा दिखा करके, भारत के सुनहरे भविष्य की ओर संकेत किया है। इतना ही नहीं ट्रम्प ने पूरे मुस्लिम जगत से अपील की है कि वे आतंकियों को अपने पूजा स्थलों से निकाल दें, अपने समुदाय से निकाल दें, अपने धर्मस्थलों से निकाल दें और उन्हें पूरी धरती से निकाल दें।
21 मई को भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने मेजर नितिन गोगोई को पुरस्कृत करके जिस इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उसके पीछे सेना की हुंकार स्पष्ट सुनाई दे रही है। मेजर नितिन गोगोई विगत 9 अप्रेल को कश्मीर में निर्वाचन कर्मचारियों को अपने संरक्षण में लेजा रहे थे। इन लोगों को अचानक सैंकड़ों पत्थरबाजों ने घेर लिया और पत्थर बरसाने लगे। स्थिति इतनी विकट हो गई कि किसी भी समय न केवल चुनाव कर्मियों को अपितु सैनिकों को भी प्राणों से हाथ धोना पड़ सकता था। ऐसी स्थिति में सेना के पास सामान्यतः दंगाइयों पर फायरिंग करने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं होता। यदि मेजर गोगोई पत्थरबाजों पर गोलियां चलाते तो बड़ी संख्या में लोग हताहत होते जिसके लिए भारत सरकार को भारत के भीतर छिपे बैठे तथाकथित मानवतावादियों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता।
मेजर गोगोई ने सूझबूझ से काम लेते हुए एक पत्थरबाज को पकड़कर अपनी जीप के सामने बांध दिया ताकि पत्थरबाज, आर्मी की गाड़ी पर पत्थर न फैंक सकें। उनकी युक्ति तो काम कर गई किंतु अरुंधती राय ने कश्मीर पहुंचकर आर्मी की इस कार्यवाही की कटु आलोचना की। कुछ अन्य लोगों ने भी अरुंधती का समर्थन किया। इस पर सांसद परेश रावल ने ट्वीट किया कि पत्थरबाज की जगह अरुंधती रॉय को जीप सेे बांधा जाना चाहिए था। इस ट्वीट के आते ही आर्मी चीफ द्वारा मेजर गोगोई को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई। अन्यथा इससे पहले तो सेना ने मेजर के विरुद्ध जांच के आदेश दे रखे थे। अरुंधति रॉय, अभिषेक मनु सिंघवी और सुरजेवाला जैसे लोग, कभी भी किसी भी सही बात का समर्थन नहीं करेंगे। कहा जा सकता है कि सेना ने गोगोई को पुरस्कृत करने का निर्णय केवल अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए नहीं किया है, अपितु अरुंधति जैसे लोगों को करारा जवाब देने और भविष्य में भी ऐसी कार्यवाहियों का समर्थन करने की घोषणा के रूप में किया है।
भारतीय सेना का यह भीमगर्जन मंगलवार 23 मई को फिर सुनाई दिया जब भारतीय सेना ने कश्मीर के नौशेरा क्षेत्र में पाकिस्तानी चौकियों पर ताबड़तोड़ हमले करते हुए उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया जहां से आतंकवादियों को सहायता मिलती थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय सेना की यह गर्जना आगे भी सुनाई देगी।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता
स्वतंत्र पत्रकार

1 thought on “संसार भर से समर्थन के स्वर”

  1. We have proud on our military forces and present Modi Govt…..Vande-Mataram..

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