पारिवारिक अदालत

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
विधवा माँ को रखने वाले एक बेटे बहू पर माँ की सेवा में कमी का आरोप लगा । आरोप लगाने वाले दो थे । वो बेटे और बहू ,जिन्होंने कभी माँ को नही रखा। जज वो दामाद व वकील वो बेटी थी ,जिन्होंने भी कभी अपनी माँ या सासु माँ को एक दिन भी पास नहीं रखा। इन सबके बच्चे अभियोजन पक्ष के गवाह थे । बचाव पक्ष माने अरोपियों के गवाह उनके अपने बच्चे थे, जिनकी गवाही जज महोदय़ ने अमान्य कर दी थी । फैसला था – ” भविष्य में माँ की सेवा बिना घर छोड़े अधिक निष्ठा भाव से करें तथा आने वालों का माने दूसरे बेटे बहू व बेटी दामाद के आदर सत्कार में वृद्धि करें । ” सेवा में लापरवाही की पुनरावृत्ति करने पर सामाजिक बहिष्कार के दण्ड के भागीदार होंगे।

हेमंत उपाध्याय, व्यंग्यकार व लघुकथाकार साहित्य कुटीर पं . रामनारायण उपाध्याय वार्ड खंडवा म प्र 9425086246 / 9424949839/ 7999749125 mailto:[email protected]

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