अरुणाचल प्रदेश में पुलिस अब तक उन शिकारियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है जिन्होंने दो दिन पहले राजधानी ईटानगर के मुख्य चिड़ियाघर में घुस कर एक बाघिन की हत्या कर दी.
राज्य के वन विभाग ने इस चौंकाने वाली घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं.
चिड़ियागर के प्रभारी जोराम दोपुम ने बताया, “ये घटना सोमवार को भारतीय समयानुसार रात आठ से 10 बजे के बीच की है. शिकारियों ने बाघिन के कई हिस्से कर दिए लेकिन वे उन्हें वहां से ले जा नहीं सके.”
मृत बाघिन का पोस्ट मॉर्टम किया गया है.
सुरक्षित नहीं जानवर
बताया जाता है कि जब ये घटना हुई तो वहां ड्यूटी पर तैनात तीनों सुरक्षाकर्मी खाना खाने गए हुए थे. जब सुरक्षाकर्मी लौटे तो तब तक शिकारी बाघिन की हत्या कर वहां से फरार हो चुके थे.
दिसंबर 2006 में जन्मी ये बाघिन सिर्फ छह वर्ष की थी. ईटानगर का चिड़ियाघर 250 हेक्टेयर फैला हुआ है. इस चिड़ियाघर में अक्सर जानवर मारे जाते रहे हैं.
हाल ही में यहां त्रिपुरा के सैपाइझाला चिड़ियाघर से दो तेंदुए और तीन एशियाई काले भालू लाए गए हैं.
लेकिन चिड़ियाघर के भीतर कई बार शिकार की घटनाएं देखने को मिली है. फरवरी 2006 में तीन बाघों और एक तेंदुए को किसी ने अज्ञात व्यक्ति ने जहर दे दिया था. इस घटना में एक बाघ मारा गया था लेकिन दो अन्य बाघों और तेंदुए की जान बचा ली गई.
काला बाजारी
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बाघों का शिकार एक आम समस्या रही है. बाघों के अंगों की चीन में भारी मांग हैं जहां उन्हें कई पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.
जून 2006 में अधिकारियों ने असम में बड़ी मात्रा में बाघ के अंग मिले थे जिनमें उसकी हड्डियां और नाखून शामिल थे.
बाघ की सिर्फ 10 ग्राम हड्डियां काले बाजार में 200 डॉलर यानी 11 हजार रुपये तक बिकती हैं. इस तरह शिकारियों को एक ही बाघ के शिकार से ढाई लाख रुपये तक की आदमनी हो जाती है. बाघ की खाल की भी बड़ी मांग है.