बिहार कला पुरस्‍कार समारोह सफलतापूर्वक संपन्‍न

बिहार कला पुरस्‍कार 2017-18 में सम्‍मानित हुए राज्‍य के 24 कलाकार
SKS_5270पटना। राजधानी पटना के अधिवेशन भवन में आज कला, संस्‍कृति एंव युवा विभाग द्वारा आयोजित बिहार कला पुरस्‍कार समारोह सफलतापूर्व संपन्‍न हो गया, जिसमें राज्‍य भर से आये विभिन्‍न विधाओं के 24 कलाकार को मुख्‍य अतिथि बिहार के उप मुख्‍यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी के द्वारा सम्‍मानित किया गया और प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। (सूची नीचे देखें) इससे पहले कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत दीप जला कर उप मुख्‍यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, कला, संस्‍कृति एवं युवा विभाग के मंत्री श्री कृष्‍ण कुमार ऋषि और बिहार सरकार के मुख्‍य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह ने की।
इस दौरान उप मुख्‍यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पश्चिमी प्रभाव के युग में आज अपनी लोक कलाओं, संस्‍कृति व विरासत को संभाल कर रखने की चुनौतियां हैं। इसलिए तरह के आयोजनों से ही अपने विरासत को हम बचा सकते हैं। हमें डर है कि पश्चिमीकरण के युग में हमारे लोक कलाकारों की प्रतिभा दब नहीं जाये, इसलिए उनके साथ हमें समन्‍वय बनाकर आगे बढ़ना होगा। मोदी ने कहा कि हमारी कला एवं संसकृति में इतनी ताकत है कि कोई भी बाहरी प्रभाव इसको प्रभावित नहीं कर सकता है। इसका उदाहरण रामायाण और महाभारत की कथाएं है, जो सैंकड़ों वर्ष से आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं।
मोदी ने कहा कि कला और संस्‍कृति उसी समाज में आगे बढ़ सकती है, जहां शांति और सद्भाव हो। जिस समाज में ऐसा नहीं है, वहां कला का विकास उस तरह से नहीं हो सका है। एक समय राजे- महराजे कला को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करते थे, आज वहीं काम बिहार सरकार कर रही है। क्‍योंकि बिना राज्‍य के संरक्षण के उसका संवर्द्धन असंभव है। इसलिए जहां राज्‍य सरकार ने सालों भ्‍र हर जिले में चार बार ऐसे आयोजन करने का फैसला किया है, जिसमें कलाकारों को मंच मिले और उन्‍हें उचित सम्‍मान मिले। राज्‍य सरकार ने कला के विकास के लिए 8 करोड़ 19 लाख रूपए के लागत से दरभंगा, सहरसा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया प्रमंडल के जिला मुख्‍यालयों में प्रेक्षा गृह बनाने का निर्णय लिया है। साथ ही मिथिला लोक कला के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास के लिए मिथिला चित्र कला संस्‍थान भी राज्‍य सरकार द्वारा बनाया गया है, जो आर्यभट्ट ज्ञान विवि से संबंध है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कला, संस्‍कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के मंत्री श्री कृष्‍ण कुमार ऋषि ने कहा कि कला संस्‍कृति को जन – जन तक ले जाने के लिए विभाग द्वारा बड़े स्‍तर पर काम किये जा रहे हैं। उसके संवर्द्धन के लिए मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी सोच से बना बिहार म्‍यूजियम उदाहरण है। पिछले दिनों बिहार आये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी इस संग्रहालय को अद्भुत बताया। आज राज्‍य सरकार सभी जिलों में कला के प्रदर्शन और उसके प्रदर्श के लिए साल में चार ऐसे आयोजनों की अनुमति दी है, जो जिला मुख्‍यालयों के स्‍थापना दिवस के कार्यक्रम से अलग होगा।
वहीं, बतौर अति‍थि बिहार सरकार के मुख्‍य सचिव ने श्री अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि यक्षिणी हमारे कला के उत्‍कर्ष का प्रतीक है। राज्‍य सरकार के कला संस्‍कृति विभाग, पर्यटन विभाग, सूचना एवं जन संपर्क विभाग और राजस्‍व विभाग द्वारा साल भर में 100 से ज्‍यादा महोत्‍सव सिर्फ इसलिए मनाया जाता है कि कि बिहार के लोग अपनी सभ्‍यता – संस्‍कृति से जुड़े रहे। हम बिहार के खोय गौरव को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार की कलाओं को सहेजने के लिए बिहार म्‍यूजियम, कंवेंशन हॉल सहित पटना में 25 से ज्‍यादा अत्‍याधुनिक प्रेक्षागृह बनाए गए हैं।
पुरस्‍कार समारोह में अतिथियों का स्‍वागत करते हुए कला, संस्‍कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव चैतन्‍य प्रसाद ने कहा कि आज का दिन बिहार की अस्मिता, पहचान और सांस्‍कृतिक परंपरा के लिए खास दिन है। आज से करीब 100 साल पहले 19 अक्‍टूबर 1917 को बिहार की सांस्‍कृतिक पहचान के रूप में विश्‍व विख्‍यात चंवरधारिणी यक्षिणी की पाषाण मूर्ति दीदारगंज पटना से मिली थी। इसके प्राप्‍त होने के सौ साल बाद इस दिन को माननीय मुख्‍यमंत्री द्वारा बिहार कला दिवस की शुरूआत की गई। चंवरधारिणी यक्षिणी की प्रतिमा बिहार के कला ज्ञान का प्रतीक है। बिहार के सौंदर्यबोध की साक्षी रही चंवरधारिणी यक्षिणी की प्रतिमा महिलाओं के प्रति बिहार के सम्‍मान का भी प्रतीक है। विभाग के अपर सचिव आनंद कुमार, निदेशक सत्‍यप्रकाश मिश्रा, अतुल वर्मा, उप सचिव तारानंद वियोगी, विभा सिन्‍हा, संजय कुमार, मीडिया प्रभारी रंजन सिन्‍हा मौजूद थे।
बिहार कला पुरस्‍कार 2017-18
राष्‍ट्रीय सम्‍मान (2017-18)
डॉ शारदा सिन्‍हा (प्रदर्श कला), श्री परेश मैती (चाक्षुष कला)
लाईफ टाईम अचीवमेंट सम्‍मान (2017-18)
श्री किरण कांत वर्मा (प्रदर्श कला), प्रो. श्‍याम शर्मा (चाक्षुष कला)
चाक्षुष कला के क्षेत्र में पुरस्‍कार
राधा मोहन पुरस्‍कार – वरिष्‍ठ – श्री बिरेंद्र कुमार सिंह
यूवा – श्री अमृत प्रकाश
कुमुद शर्मा पुरस्‍कार (समकालीन महिला) – वरिष्‍ठ – श्रीमति संजु दास
यूवा – सुश्री निम्‍मी सिन्‍हा
सीता देवी पुरस्‍कार (लोक कला) – वरिष्‍ठ – श्री रविंद्र नाथ गौड़
यूवा – सुश्री ममता भारती
दिनकर पुरस्‍कार (चाक्षुस कला लेखन) – वरिष्‍ठ – श्री ज्‍योतिषचंद्र शर्मा
यूवा – श्री सुनील कुमार
प्रदर्शन कला के क्षेत्र में पुरस्‍कार
पं. रामचुतर मल्लिक पुरस्‍कार (शास्‍त्रीय गायन) – वरिष्‍ठ – डॉ रेखा दास
यूवा – श्री संतोष कुमार
भिखारी ठाकुर (रंगमंच) – वरिष्‍ठ – श्री मिथिलेश राय
यूवा – श्री बुल्‍लू कुमार
विंध्‍यवासिनी देवी पुरस्‍कार (लोक गायन) – वरिष्‍ठ – श्री सत्‍येंद्र कुमार संगीत
यूवा – श्रीमति श्‍वेत प्रीति
रामेश्‍वर सिंह कश्‍यप पुरस्‍कार (प्रदर्शन कला, लेखन) वरिष्‍ठ – श्री उदय कुमार
यूवा – श्री राजन कुमार सिंह
विस्मिल्‍ला खां पुरस्‍कार (वाद्य वादन) वरिष्‍ठ – डॉ विश्‍वनाथ शरण्‍र सिंह‍
यूवा – मो. सलीम
अम्‍बापाली पुरस्‍कार (नृत्‍य) वरिष्‍ठ – श्रीमति अंजुला कुमारी
यूवा – यामिनी

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