योजनाओं के नाम पर करोडों बह रहे पानी में
785 करोड़ की बीसलपुर बांध परियोजना
बांध की क्षमता 38.7 टीएमसी लेकिन इससे ज्यादा बहा दिया अमृत
ओवरफ्लो बांध होने पर अब तीन बार खोले गए बांध के गेट
वर्ष 2004 में 26टीएमसी,2006 में 43 टीएमसी,2014 में 11 टीएमसी पानी का हुुआ निकास
गेट खोले निकाले गए पानी को अगर किया जाता स्टोरेज
तो प्रदेश के कई जिले वासियों को मिलता सालो तक मीठा पानी
लेकिन परियोजना से जुड़े अधिकारियों के पास नहीं थी समय पर खास योजना
योजना के अभाव में करोड़ों गैलन पानी सालों से बह रहा व्यर्थ
व्यर्थ बहता पानी ने भी खूब मचाई हाहाकार,अब तक कई जाने ली
तो कई खेतों में करोडो़ं की फसले होती रही चौपट
प्रदेशभर में पेयजल संकट और लोगों के सूखे हलक तर करने के लिए टोंक जिले में वर्ष 1999 में पेयजल और सिंचाई योजना को लेकर बनाया गया बीसलपुर बांध में सरकारों ने निर्माण को लेकर काफी गम्भीरता तो दिखाई लेकिन ओवरफ्लो पानी को स्टोरेज को लेकर कोई खास योजना नहीं बनाने से लगातार साल-दर-साल जब बांध ओवरफ्लो होता है तो कभी बांध की भराव क्षमता के बराबर तो कभी बांध की भराव क्षमता सेज्यादा तो कभी एक तिहाई पानी कहा जाने वाला अमृत सिर्फ बांध के गेट खोलते ही व्यर्थ बह पड़ता है पिछले साल भी सरकार और सरकारी कारिंदों ने काफी दावे ठोके लेकिन आज तक भी ईसरदा कॉपर डेम का निर्माण कार्य तेजी नहीं पकड़ पाया हालात यह है कि इस साल जिस प्रकार प्रदेश भर में ईंद्रदेव मेहरबान है और झमाझम बारिश का दौर लगातार जारी है और अधिकारियों की माने तो इस वर्ष भी करोड़ों गैलन पानी व्यर्थ बहना तय है….देखिये क्या है आखिर पूरा माजरा…….खास खबर
यह है कृषि मंत्री प्रभूलाल सैनी के गृह जिले टोंक के बीसलपुर बांध जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है देश और प्रदेश के हर घर में रहने वाले परिवारजन और सरकारी कार्यालयों के हर अधिकारियों के साथ कांग्रेस हो या भाजपा सभी पार्टियों की सरकारों के जनप्रतिनिधि खूब वाकिफ है.। लेकिन एक बार फिर हम बताे है आपकों एक ऐसी तस्वीर जो आज तक ना आपने देखी होगी ना ही सुनी होगी। वर्ष 1999 में बनकर तैयार हुआ बीसलपुर बांध..बांध के निर्माण से लेकर डूब क्षेत्र के लोगों को मुआवजा राशि पर करीब 785 करोड़ रूपए खर्च किए गए। बांध की क्षमता 38.7 टीएमसी व 315.50 आरएलमीटर निर्धारित की गई।लेकिन शायद बांध परियोजना अधिकारियों को इतना भी अंदाजा नहीं था कि अगर बांध ओवरफ्लो हुआ तो एकत्रित हुआ यह पानी व्यर्थ बह जाएगा और उसकों सुरक्षित रखने के कोई खास योजना शायद किसी के पास नहीं थी और सरकार और योजना के अधिकारियों को बड़ा झटका तब लगा जब वर्ष 2004 में 26 टीएमसी पानी जो कि बांध की भराव क्षमता का एक तिहाई है बांध से व्यर्थ ही बह गया और इस पानी ने जिलेभर में बड़ा संकट खड़ा कर दिया। कई परिवारों को घर से बेघर किया तो कई की जान लील गया और हालात बाढ़ जैसे हो गए जिले में,जिसकों सम्भाल पानी जिले के अधिकारियों के कंट्रोल से बाहर था और फिर तो जैसे मानों तय हो गया कि अब जिस पानी को अमृत समझ सहेजा जा रहा है वह कब नालों में व्यर्थ बह जाएगा कोई भरोसा नहीं वर्ष 2006 में तो बांध के कैचमेंट एरिया और जिले में इतनी बारिश हुई ही जिले का हर गांव-ढ़ाणी और कस्बा पानी से तरबतर था उसी वर्ष भी बांध की भराव क्षमता से कही ज्यादा करीब 43 टीएमसी पानी फिर छोड़ा गया और सत्ता और सरकार के प्रतिनिधियों के हाथ-पांव फूल गए पिछले साल 2014 की तस्वीरे भी आपकों दिखाई थी की कैसे तरबतर हो गया था नवाबी शहर टोंक और जिले का हर गांव-ढ़ाणी-कस्बा
बीसलपुर बांध परियोजना से जुड़े अधिकारियों की माने तो व्यर्थ बहने वाली पानी को रोकने के लिए बनेठा क्षेत्र में ईसरदा कॉपर डेम की स्वीकृति तो हो गई। इस साल बजट में वित्तिय स्वीकृति भी मिल गई। लेकिन फिलहाल कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहे है और बीसलपुर बांध परियोजना के एक्सईएन आरसी कटारा खुद मान रहे है इस साल भी अगर बीसलपुर बांध ओवरफ्लो हुआ तो करोड़ों गैलन पानी को स्टोरेज करने के कोई उपाय नहीं है वह तो व्यर्थ बहना तय है.
ईसरदा डेम का प्लान भी तैयार है…बजट भी जारी है…लेकिन ना वन विभाग की एनओसी मिली…ना ही भूमि अवाप्ति हुई…..बांध की क्षमता भी इतनी की मानों जैसे ऊंट के मूंह में जीरा….और बनाने के लिए करोड़ों का खर्च….मात्र 10.77 टीएमसी की क्षमता वाला यह बांध पिछले दो सालों से अपने निर्माण का इंतजार कर रहा है…लेकिन ना ईंट लगी ना पत्थर…..जितनी इस बांध की क्षमता निर्धारित रख प्लान बनाया गया…उससे तीन गुना…चार गुना और उसके बराबर तो बीसलपुर बांध से ही पानी छोड़ा जा चुका है….फिर कैसे बांध में पानी सुरक्षित रखा जाएगा और सवाईमाधोपुर,दौसा..तक पानी पहुंचाने की बात..दावे..योजनाएं…सब कागजी दावे साबित होंगे…यह तय है….ईसरदा डेम परियोजना के अधिशांषी अभियंता वीएस टाक की माने तो ईसरदा डेम का प्लान तैयार है और कुछ निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है लेकिन वन विभाग की भूमि एनओसी नहीं मिलने,डूब क्षेत्र के गांवों में मुआवजा राशि को लेकर विवाद नहीं सुलझने से निर्माण कार्य पिछले कई सालों से धीमी गति से चल रहा है…..
चलिए अब आपकों सत्ता की सरकार के बड़े जनप्रतिनिधि सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया की सुनाते है।जो सिर्फ कागजी योजना का बखान कर रहे है। उन्हे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं की करोड़ों गैलन व्यर्थ बहने वाले पानी को स्टोरेज को क्या और कैसे गम्भीर हो सराकर।
टोंक जिले के बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो होने और गेट खोलने पर किसानों को जहां परेशानी उठानी पड़ती है वहीं जिलेवासियों की समस्याएं भी चार गुना बढ़ जाती है। गेट खोलने से किसानों के खेत में खड़ी फसले नष्ट हो जाती है और कर्जे में डूबे किसान आत्महत्या पर मजबूर होते है तो यह मानिये यह बांध और उसका पानी आमजन के साथ किसानों के लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की बड़ी लापरवाही से परेशानी का सबब बना हुआ है । किसानों को सबसे बड़ा लाभ तो बीसलपुर बांध के नहरी तंत्र से होती है जब समय पर नहरों में कैनाल से पानी छोड़ा जाता है लेकिन सालों से किसानों को तड़तड़पा तड़पा कर पानी दिया जाता है जिसकों लेकर कई बार प्रदर्शन,धरना तक करने पड़ते है किसानों को
योजनाएं बनती है संवरती है और धरातल पर उतरती है….लेकिन देश और प्रदेश में ऐसी कई योजनाएं है जो बनाकर धरातल पर उतार तो दी गई…लेकिन उससे होने वाले नुकसान को लेकर ना सरकारी कारिंदों ने अनुमान लगाया नहीं सत्ता के मालिकों ने ऐसी ही एक लापरवाही भेंट चढ़ रहा है कृषि मंत्री प्रभूलाल सैनी के गृह जिले का बीसलपुर बांध आंकड़ों पर गौर करे तो बांध के निर्माण के बाद से अब तक क्षमता से कही ज्यादा पानी तो व्यर्थ बह गया जिससे प्रदेश भर कई सालों तक मीठा पानी पीता..और कई सूखे हलक तर होते लेकिन सरकार और सरकारी कारिंदों की लापरवाही से यह मीठा पानी सालों से व्यर्थ बह रहा है अब देखने वाली बात यह होगी कि जी मीडिया की सामाजिक सरोकार की इस पहल पर राज्य की मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव कितनी गम्भीरता दिखाते है कैसे इस व्यर्थ बहते पानी को सुरक्षित करने की योजना बनाई जाती है।
पुरूषोत्तम जोशी
दिया तले अंधेरा!
देवली तहसील मे बनास नदी पर बने बिसलपुर डेम ने देवली उनियारा व टोंक तहसील की जहॉ खरबूजे तरबूज प्याज आदि उत्पादन की पहचान खो दी है, वहीं यह पूरा ग्रामीण क्षेत्र पानी के लिये रो रहा है ! बिसलपुर से प्रतिदिन दूर दराज के शहरो व कसबों को पेय जल की योजनाये दी जा रही है पर टोंक जिले के ग्रामीण क्षेत्रो की कोई सुध नही है !हाल ही मे दूदू तहसील के ग्रामीण क्षेत्र को बिसलपुर से जोडा जाना तय हुआ है पर देवली उनियारा की बरसो पुरानी योजना की गति शून्य गति से कार्य रत है ! उल्लेखनीय है कि देवली उनियारा राजस्थान सरकार मे प्रभावी मंत्री प्रभूलाल सैनी का गृह क्षेत्र है !
दिया तले अंधेरा!
देवली तहसील मे बनास नदी पर बने बिसलपुर डेम ने देवली उनियारा व टोंक तहसील की जहॉ खरबूजे तरबूज प्याज आदि उत्पादन की पहचान खो दी है, वहीं यह पूरा ग्रामीण क्षेत्र पानी के लिये रो रहा है ! बिसलपुर से प्रतिदिन दूर दराज के शहरो व कसबों को पेय जल की योजनाये दी जा रही है पर टोंक जिले के ग्रामीण क्षेत्रो की कोई सुध नही है !हाल ही मे दूदू तहसील के ग्रामीण क्षेत्र को बिसलपुर से जोडा जाना तय हुआ है पर देवली उनियारा की बरसो पुरानी योजना की गति शून्य गति से कार्य रत है ! उल्लेखनीय है कि देवली उनियारा राजस्थान सरकार मे प्रभावी मंत्री प्रभूलाल सैनी का गृह क्षेत्र है !
पदम अदमेरा – दूनी