राजस्थान में राशन, पेंशन, नरेगा के हालत गंभीर

एपीएल-बीपीएल खत्म करो, सबको राशन पेंशन दो

“एपीएल-बीपीएल खत्म करो, सबको राशन पेंशन दो”- यह मांग आज सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की और से आयोजित प्रदेश स्तरीय धरने के अंतिम दिन पूरे राज्य से आये लोगों ने उठाई.
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फ़िरोज़ खान

जयपुर 22 जून । जयपुर के हटवाडा क्षेत्र में स्थित मजदूर किसान भवन में आयोजित धरनार्थियों के सम्मलेन को संबोधित करते हुए सामाजित कार्यकर्ता निखिल दे ने कहा: “राजस्थान में महात्मा गाँधी नरेगा के हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं और लोगों को बहुत निराशा पैदा हो रही है. खाद्य सुरक्षा की सूची से बहुत से पात्र लोगों को हटा दिया गया है. जब से पोस मशीनों के माध्यम से आधार से जोड़ते हुए राशन देना शुरू किया और भी अधिक लोग खाद्यान्न से वंचित हो गये हैं”.

निखिल डे के अनुसार वृधावस्था, विधवा तथा विकलांग पेंशन के सम्बन्ध में हमने जुलाई, 2016 से लेकर अब तक कई पत्र राज्य सरकार को लिखे हैं, जिसमे हमने इस व्यवस्था में सुधार हेतु निवेदन किया लेकिन कहीं से भी कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिलता है. उन्होंने बताया कि पेंशन की पारदर्शी व्यवस्था नहीं होने की वजह से 10 लाख लोगों की पेंशन रोक दी गयी.

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से आये पीड़ितों ने अपने-अपने क्षेत्र में राशन, पेंशन, नरेगा की व्यवस्था से हो रही परेशानी के जीवंत उदहारण अपनी-अपनी कहानियों के माध्यम से बताये.

दिए गए ज्ञापन
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की और से 19 जून से लगाये जा रहे धरने के आखिरी दिन आज नरेगा, राशन तथा पेंशन को लेकर आम लोगों द्वारा उठाये गए मुद्दों पर सामाजिक न्याय’ एवं अधिकारिता’ विभाग के सचिव, खाद्य एवं उपभोगता मामलात विभाग के सचिव और शासन सचिव नरेगा तथा ग्रामीण विकास विभाग को ज्ञापन देकर समस्याओं के समाधान की मांग की गयी.

यह हैं प्रमुख मांगे:

नरेगा
नरेगा की स्थिति में सुधार किया जाए. राजस्थान के कई हिस्सों में अक्सर अकाल

रहता है, ऐसे तमाम अकाल प्रभावित इलाकों में 50 दिन का काम दिया जाए. समूहवार नपती हो, देरी

से भुगतान मिलने पर मुआवजा दिया जाए. न्यूनतम मजदूरी बधाई जाए. नए जॉब कार्ड बनाने में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जाए. राज्य में

अभी तक स्वतंत्र सामाजिक अंकेक्षण निदेशालय का गठन नहीं किया गया है जिसकी वजह से राज्य में सामाजिक अंकेक्षण तो खानापूर्ति बन कर रह गया है. जितनी जल्दी हो सके सामाजिक अंकेक्षण का ढांचा बनाया जाए. पारदर्शिता बढाने के लिए दीवारों पर नाम पेंट किया जाना चाहिए. नरेगा में बुजुर्ग और शारीरिक विकलांगों के लिए अलग से कार्य की श्रेणी बनाई जानी चाहिए.

खाद्य सुरक्षा
राशन में बहुत से लोगों के नाम काटे जाने, सूचियों को सार्वजनिक नहीं करने और पोस मशीन लगा देने से राज्य के लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इनके समाधान के लिए निम्न मांगे रखी गई:

आयकर के अलावा या सरकारी नौकरी वाले लोगों को छोड़कर समस्त परिवारों को खाद्य सुरक्षा में शामिल किया जाए. बिना सुनवाई का मौका दिए जिन लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से हटाये गए उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए. राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी को भी आधार या बायोमेट्रिक काम नहीं करने से राशन

से वंचित न किया जाए, अतः सबको राशन मिले. जिन 27 लाख परिवारों ने पिछले महीने राशन नहीं उठाया उनके नाम सार्वजनिक किये जाए. हर राशन की दूकान पर दीवार पेंटिंग हो तथा निजी डीलर को समाप्त किया जाए.

पेंशन
पेंशन का एम् आई एस नरेगा की तर्ज़ पर बनाया जाए. जिन 10 लाख लोगों की पेंशन

पर रोक लगी है उन सभी लोगों का डाटा पब्लिक डोमेन में डाला जाए. जिन जिन्दा लोगों को मृत बताकर पेंशन रोक दी गयी, यह गलती जिन सरकारी अधिकारीयों ने की है, उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए. 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेंशनधारियों को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से सुविधा प्रदान की जाए. सामाजिक सुरक्षा पेंशन न्यूनतम मजदूरी की आधी हर हालत में की जाए. सभी सामाजिक सुरक्षा पेंशन का सामाजिक अंकेक्षण किया जाए.

किसने क्या कहा आज
“गरीब लोगों के घरों पर “मैं गरीब हूँ, इसलिए बी पी एल हूँ” ऐसा लिखवाना तथा खुले में मजबूरी में शौच के लिए जाने वाले लोगों की फोटो

खींचना गरीबों को जलील करना है. क्या सरकार अमीरों के घरों

पर भी लिखवायेगी कि “मैं अमीर हूँ क्यूंकि मैं लोगों को लूटता हूँ””.- निखिल डे, मजदूर किसान शक्ति संगठन
“राजसमन्द तथा भीलवाड़ा के कुछ राशन डीलरों का गबन पकड़ने के कारण जान

से मारने की धमकी मिली. पुलिस में शिकायत दे कर सुरक्षा मांगनी पड़ी”- बालुलाल, भीलवाड़ा

“अजमेर जिले में मुंडोती और बुहारू इलाके में राशन डीलर खुलेआम राशन की चोरी कर रहे हैं. शिकायत के बावजूद कार्यवाही नहीं की जा रही” – नौरती बाई, हरमाड़ा

“लोगों की समस्या खाने की है पर सरकार पैखाने की बात कर रही है. लोग अनाज मांग रहे हैं और सरकार टॉयलेट बनवा रही है” – श्यामलाल, आस्था, उदयपुर

जनमंच आयोजित

धरने के समापन से ठीक पहले सूचना एवं रोज़गार का अधिकार अभियान की

तरफ से जनमंच का आयोजन किया गया जिस में प्रमुच

राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. इस अवसर पर कामरेड डी. के. छंगानी, सुमित्रा चोपरा, पारस बंजरा, हरिकेश बुगालिया, अर्चना शर्मा, इत्यादि ने अपने विचार रखे.
जनता का घोषणा-पत्र

राशन, पेंशन, नरेगा, शिक्षा, स्वस्थ्य, खनन इत्यादि विषयों पर केन्द्रित जनता का एक घोषणा पत्र भी आज के जनमंच में ज़ारी किया गया.

इस तरह सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान द्वारा 19 जून, 2017 से चल रहे धरने का समापन आगे भी संघर्ष ज़ारी रखने के संकल्प के साथ किया गया ।

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