बीकमपुर में भगवान महावीर स्वामी के मंदिर व दादाबाड़ी की प्रतिष्ठा

विक्रमादित्य ने बसाया था बीकमपुर को

Bikampur -1बीकानेर, 15 नवम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री मणिप्रभ सूरिश्वरजी, वरिष्ठ साध्वीश्री शशिप्रभा एवं उनके सहवृति मुनियों व साध्वीवृंद के सान्निध्य में बुधवार को बीकमपुर में मूलनायक परमात्मा महावीर स्वामी के मंदिर, दादाबाड़ी की प्रतिष्ठा केन्द्रीय संसदीय कार्य एवं जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनलाल मेघवाल, कोलायत विधायक भंवर सिंह भाटी सहित अनेक जन प्रतिनिधियों, जहाज मंदिर के ट्रस्टी,श्री जिनदत्तकुशल सूरि पेढ़ी के पदाधिकारी व देश के विभिन्न इलाकों से आए जैन समाज के गणामान्य श्रावकों के आतिथ्य में हुई।

मंदिर व दादाबाड़ी स्थल पर हुई धर्मसभा में आचार्यश्री जिनमणिप्रभ सूरिश्वरजी ने कहा कि विक्रमपुर महाराजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित हुआ था। युग प्रधान प्रथम दादा गुरुदेव जिनदत्त सूरि की निश्रा में 500 मुनियों व 700 साध्वियों की एक साथ दीक्षा ग्रहण की थीं। सूर्य कुमार के नाम से भादवा सुदी 8 विक्रम संवत् 1197 को श्रीमती देल्हणी देवी की कोख से जन्में दादा गुरुदेव की दीक्षा अजमेर में हुई थीं तथा विक्रम संवत 1205 में आठ वर्ष की आयु में आचार्य पद पर बीकमपुर में ही सुुशोभित हुए थे।

आचार्यश्री ने श्री जिनदत्त कुशल सूरि खरतरगच्छ पेढ़ी के संरक्षक एवं पूर्व अध्यक्ष मोहन चंद ढढ्ढा की ओर से संवत 2014 में शोध कर पवित्र स्थल बीकमपुर की विशिष्टताओं को सामने लाने,कम समय में जैन मंदिर निर्माण व दादाबाड़ी, मंदिरों का पुर्नरोद्धार व निर्माण करवाने पर पेढ़ी के पदाधिकारियों व विक्रमपुर के वैभव को पुनः स्थापित करने में अपरोक्ष-अपरोक्ष रूप से सहयोग करने वालों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि पुण्योदय से ही परमार्थ, मंदिर व दादाबाड़ी निर्माण में द्रव्य का खर्च होता है।

श्री जिनदत्तकुशल सूरि पेढ़ी की ओर से आयोजित समारोह में केन्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि ऎतिहासिक नगर बीकमपुर जैन मंदिर व दादाबाड़ी के बनने से आम जन यहां के प्राचीन इतिहास व जैन संस्कृति से आमजन रूबरू हो सकेंगे। बीकमपुर बीकानेर जिले का धर्म,पर्यटन व पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान के रूप में विकसित होगा। बीकमपुर के किले में विक्रम संवत् 60 की बनी हुई एक देवी की देहरी एवं में जैन मंदिर के अवशेषों पर व्यापक शोध की आवश्यकता है। उन्होंने अपनी ओर से बीकमपुर के विकास में अपेक्षित सहयोग का आश्वासन दिया।

आचार्यश्री के सान्निध्य में हुए समारोह में बताया गया जैन मंदिर में मूलनायक परमात्मा महावीर स्वामी की विक्रम संवत 1518 में हुई अंजनशलाका की प्राचीन प्रतिमा जो श्री जैसलमेर के लोद्रवपुर पाश्र्वनाथजैन श्वेताम्बर ट्रस्ट के सौजन्य से प्राप्त, दादाबाड़ी में तीन गुरुदेव दादा गुरुदेव की प्रतिमा एवं चतुर्थ दादा गुरुदेव के चरण पादुकाओं को प्रतिष्ठित किया है। ब्रह्मसर तीर्थोंद्धारक उपाध्याय मनोज्ञ सागर जी महाराज विहार करते हुए 1998 में विक्रमपुर आए थे। उन्होंने भी श्रावक-श्राविकाओं को बीकमपुर के विकास के लिए प्रेरित किया था। इस संकुल तीर्थ के निर्माण के कार्य में फलोदी के यशवर्धन गुलेछा एवं हेमचन्द्र शर्मा की सेवाएं अनुमोदनीय है।

जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के सहमंत्री अशोक पारख ने बताया मंगलवार को बीकमपुर के पुराने किले से जैन मंदिर स्थल तक शोभायात्रा निकाली गई। धर्म सभा में दीपचंद,धन्नाराम देसाई परिवार को सिणधारी से नाकोड़ा पैदल संघ ले जाने का मुर्हूत 23 दिसम्बर दिया गया। श्रीजिन दत्त कुशल सूरी खरतरगच्छ पेढ़ी के संरक्षक मोहन लाल ढढ्ढा, मोकलसर के तेजराज गुलेच्छा सहित डेढ़ वर्ष में मंदिर व दादाबाड़ी का निर्माण करने वालों व विभिन्न बोलियों का लाभ लेने वालों का अभिनंदन किया गया। बीकानेर से बीकमपुर के लिए वीरायतन के सचिव तनसुख राज डागा की ओर से निःशुल्क बसों की व्यवस्था की गई। समारोह में चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल, खरतरगच्छ संघ व खरतरगच्छ युवा परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी व विभिन्न शाखाओं के पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।

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