
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्र भूषण पाण्डेय भी सरकारी सेवा से त्यागपत्र देकर राजनीति में कूदे थे। उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने लखनऊ से दिल्ली तक साइकिल रैली भी पिछले दिनों निकाली। तब तक झाड़ू महत्वपूर्ण नहीं हुई थी। दिल्ली की राजनीती में झाड़ू लगते ही पाण्डेय जी का झाड़ू प्रेम अचानक जाग गया और लखनऊ में झाड़ुओं के साथ मार्च निकाल कर नारा गुंजाया कि “झाड़ू हमारी है ” उनका दावा है कि जब पार्टी एक बार इसी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ चुकी है तो दूसरा इस पर दावा कैसे कर सकता है।
सड़क पर अपना हक़ जताने के बाद भी उन्हें तसल्ली नहीं हुई कि झाड़ू हमारे ही पास रहेगी तो वह चिन्ह के लिए हाई कोर्ट चले गए। पाण्डेय ने हाई कोर्ट में तमाम तर्कों के साथ याचिका दायर कर दी है कि यह चुनाव चिन्ह उनकी पार्टी को ही मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए फरवरी में डेट लगाई है। मामला कोर्ट में होने के बावजूद आप अपना जनाधार और कार्यकर्ता बढ़ने के लिए चिर-परिचित टोपी पर झाड़ू चिन्ह छपा कर प्रचार कर रहे हैं। जहाँ देखो सर पर झाड़ू लिए आप कार्यकर्ता मारे-मारे फिर रहे हैं। नैतिक पार्टी ने अब आप से सवाल पूछा है कि क्या उनकी पार्टी कोर्ट से ऊपर है। जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर क्यों झाड़ू लगाकर प्रचार और सदसयता अभियान चलाया जा रहा है। यह कहाँ कि नैतिकता है।
दरअसल , चुनाव में सफलता न मिलने से चुनाव आयोग ने उसे सक्रिय राजनीतिक पार्टी की मान्यता नहीं दी और चुनाव चिन्ह आवंटन अधिनियम की धारा 10 बी के तहत झाड़ू चुनाव चिन्ह की स्वीकृति नहीं दी। पाण्डेय ने चुनाव आयोग के की धारा 10 बी को जनप्रतिनिधि अधिनियम के विरुद्ध बताते हुए उसे रद्द करने का अनुरोध भी याचिका में कर रखा है। पार्टी का कहना है कि विधान सभा चुनाव में झाड़ू चिन्ह मिला था तो लोकसभा चुनाव में भी वाही चुनाव चिन्ह दिया जाना चाहिए। पाण्डेय की याचिका पर हाई कोर्ट ने आप के साथ चुनाव आयोग , मुख्य निर्वाचन आयुक्त और केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होनी तय है। कोर्ट के विचाराधीन होने की वजह से ही नैतिक पार्टी आप पर निशाना साध रही है। इसीसे आप के सामने अभी फ़िलहाल झाड़ू को लेकर ही झगड़ा है। उसे चुनाव के पहले चिन्ह के झगड़े से निपटने की चुनौती से जूझना पड़ेगा क्योंकि नैतिक पार्टी इस चिन्ह को आपनी नाक का सवाल बना चुकी लगती है। या तो आप उससे समझौता करे या कोर्ट से चिन्ह विवाद का निपटारा हो जाये। इसके पहले आप का कोई भी कदम विवाद और गहराएगा ही
गौरव अवस्थी
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