आधा दर्जन से अधिक सरोवर वाला शहर फिर भी शहर प्यासा?

कुछ विकास की भेंट चढे तो कुछ आंसु बहा रहे अपनी दुर्दशा पर
अनेक बर्षों से आश्वासनों,नियमों के फेर में उलझता विकास
बेखबर जनप्रतिनिधि लापरवाह अधिकारी परेशान जनता
30-डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव-  दमोह / इसे दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहा जायेगा कि आधे दर्जन से अधिक सरोवरों तथा जल की अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र पिछले कई बर्षों से जल संकट से जूझ रहा है? इतिहास साक्षी है कि जब से मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना हुई प्रदेश में किसी भी दल की सरकार रही हो दो विधायकों को प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला परन्तु हाय रे जिले का दुर्भाग्य कि समस्याओं के हल होने की बात तो छोडो अंबार बढता ही गया। जनता ने जिसे चुना उसने ही उससे मुंह मोडा अगर एैसा कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिये अगर देखा जाये तो जितना जिम्मेदार सत्ता पक्ष है तो उतना ही जबाबदार विपक्ष भी है सत्ता पक्ष के लोग अगर सत्ता के मद मे चूर रहे तो विपक्ष अपने कर्तव्यों के प्रति मुंह मोडता रहा और बेचारी जनता इसका परिणाम आज भी भोग रही है। मित्रों आज की जो सबसे बडी समस्या दिखलायी दे रही है वह है जल की उसका हल क्यों नहीं हो पाया तो आप देखेंगे कि शायद मन और लगन से इसका हल करने का प्रयास किसी ने नहीं किया। नगर की ही स्थिति पर नजर डालें तो आधा दर्जन से अधिक छोटे बडे सरोवर वाला क्षेत्र आखिर पानी के लिये क्यों तरस रहा है यह सोचने का विषय है।
विकास की भेंट चढ़े सरोवर-
इतिहास पर अगर नजर डालें तो नजर का ही एक वृहद सरोवर को मात्र इसलिये मिट्टी और मलबे से पूर दिया गया क्योंकि वहां शापिंग सेन्टर का निर्माण किया जाना था। यह सब हुआ उस समय जब प्रदेश में और नगर पालिका में कांग्रेस सत्ता में थी, जी हां हम बात कर रहे हैं कचौरा तालाब की जो कि वर्तमान में कचौरा शापिंग सेन्टर के नाम से जाना जाता है। वहीं एक छोटा तालाब जिसे उमा मि ी की तलैया के नाम से जाना जाता है वह भी समाप्त कर दिया गया। इसी क्रम में अगर देखें तो गत कुछ वर्षो पूर्व ही कैदों की तलैया के नाम से पहचाने जाने वाला छोटा सरोवर पूर दिया गया जहां आज मानस भवन एवं श्री गुरू गोलवरकर मार्केट स्थापित है। इस समय प्रदेश और नगर पालिका में भारतीय जनता पार्टी का शासन था। इतिहास की ओर नजर डालें तो नगर के ही मध्य का एक वृहद महज इसलिये मलवा और मिट्टी से पूर दिया गया कि वहां एक शापिंग सेंटर का निर्माण किया जाना था। जी हां हम बात कर रहे है कचौरा शापिंग सेंटर की जहां वर्तमान में दुकाने ही दुकाने नजर आ रही हैं। यही  हाल उमा मि ी के नाम से विख्यात तलैया का हुआ। यहां यह उल्लेख कर देना आवश्यक हो जाता है कि इस समय प्रदेश में और नगर पालिका में कांग्रेस सत्ता में थी। वहीं कुछ ही बर्ष पूर्व एक और छोटा सरोवर जिसे कैदों की तलैया के नाम से जाना जाता था विकास की भेंट चढा दिया गया। वर्तमान में वहां मानस भवन और श्री गुरू गोलवरकर मार्केट स्थापित है। जिस समय यह कार्य हुआ उस समय प्रदेश और नपा में भाजपा सत्ता में काबिज थी।
लाखों खर्च फिर भी नतीजा सिफर-    
देखा जाये तो कडोरों रूपयों की राशि सरोवरों की साफ-सफाई एवं गहरीकरण में हो चुके हैं फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है। यह सिलसिला आज भी जारी है नगर के ही मध्य के ही फुटेरा तालाब की बात करें या फिर बेलाताल की तो जो कुछ हो रहा है या होता है किसी से छिपा नहीं है। बात करें फुटेरा तालाब की तो जानकारों केे अनुसार ३०-३५ एकड की परिधि में फैला है जबकि देखके इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि कितना क्षेत्र अतिक्रमणकारियों के पास है। ज्ञात हो कि यही वह तालाब है जहां दुर्गा एवं गणेश प्रतिमाओं का विर्सजन होता है और नगर की बडी आबादी इसके जल का इस्तेमाल करती है। वहीं अगर बेलाताल की बात करें तो आप देखेंगे कि छपा और दिखा रोग से पीढित बीमारी बढने पर उसका निदान कैसे करते नजर आते हैं सभी जानते हैं।
कोपरा एनिकट अधुरा इस बर्ष भी नहीं मिल पायेगा लाभ-
लगभग आधे शहर की प्यास बुझाने वाला कोपरा स्टाप डेम का कार्य कछुआ की गति से चलने के चलते लगता है कि इस बर्ष भी लोगों को इसके जल का लाभ नहीं मिल पायेगा? हालांकि इस बर्ष में जल सप्लाई होने की बात संबधित विभाग एवं जिला प्रशासन कर रहे हैं परन्तु इन पर कैसे भरोसा किया जाये इस बात की चर्चा आम जनता में हो रही है।  विदित हो कि कोपरा नदी पर रेल्वे ब्रिज के लगभग 200 मीटर अप स्ट्रीम में पी.एच.ई.विभाग द्वारा 1974 में  स्टापडेम का निर्माण कराया गया था। इसका उपयोग दमोह नगर को पेयजल प्रदाय हेतु होता रहा है। गत 11 सितम्बर 2009 को तेज बर्षा एवं नगर पालिका के आलाअधिकारियों की अदूदर्शिता के कारण स्टापडेम की दांयी तट की मिट्टी लगभग 60 मीटर कट गई थी जिसके कारण नगर की जल प्रदाय योजना बंद हो गई थी एवं रेल्वे ब्रिज के दांयी तट को भी क्षति पहुंची थी। भविष्य में होने वाली क्षति को रोकने एवं दमोह नगर की जल प्रदाय योजना को सुचारू रूप से चलाने हेतु ओगी. वियर का निर्माण प्रस्तावित किया गया था। योजना की प्रशासकीय स्वीकृति जल संसाधन विभाग द्वारा प्रदाय की गई थी। योजना पूर्ण करने हेतु टर्न एवं की पद्धति से निविदा आमंत्रित की गई थी । प्राप्त निविदाओं में न्यूनतम निविदाकार्य की राशि 5 करा़ेड 29 लाख 62 हजार की प्राप्त हुई थी। योजनाकारों के अनुसार योजना के पूर्ण होने पर दमोह नगर को 70 मि.घन फीट पानी पेयजल हेतु उपलब्ध रहेगा तथा रेल्वे ब्रिज को ब़ाढ से क्षति नहीं होगी। योजना के तहत कैंचमेंट एरिया 630 वर्ग किलोमीटर, ओगीवियर की लम्बाई 60 मीटर, वियर की उंचाई 7.85 मीटर, सिस्टर्न की लम्बाई 30 मीटर और गाईड बन्ड की लम्बाई 75 मीटर निर्धारित है। इसकी क्रियान्वयन एजेंसी जल संसाधन विभाग है और निर्माण कार्य किस प्रकार चल रहा है सर्व विदित है। ज्ञात हो कि जल संसाधन मंत्री श्री मलैया द्वारा जिस कोपरा एनीकट का शिलान्यास 12 नवम्बर 2010 को किया गया था।
पांच बर्ष बीते नहीं बढ पायी उचांई राजनगर की –
नगर की प्यास बुझाने के लिये एक और तालाब के जल का इस्तेमाल बर्षों से किया जा रहा है वह है राजनगर जिसके निर्माण कार्य में उसकी उंचाई गत पांच बर्षों में ढाई मीटर भी नहीं बढ पायी है। 2007 में प्रारंभ हुआ कार्य अभी भी अटका पडा है। जानकारों की माने तो पूर्व में उक्त सरोवर की उंचाई 367 मीटर थी जबकि उसको ढाई मीटर तक और उंचा करने के लिये कार्य प्रारभं किया गया था। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग ढाई करोड रूपयों का व्यय हो चुका है। वर्तमान में कार्य की स्थिति क्या है सर्व विदित है।
फिर नये शिरे से प्रयास – 
प्राप्त जानकारी के अनुसार यूआईडीएसएसएमटी योजना के अंर्तगत राषि रुपये 38 करा़ेड की परियोजना के अतंर्गत राजनगर एवं जुझार घाट में निर्मार्णाधीन कार्यो के सतत पर्यवेक्षण, मानीटरिंग के लिये कलेक्टर स्वंतत्र कुमार सिंह के आदेशानुसा अपर कलेक्टर (विकास) डॉ. जगदीश जटिया की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय समिति गठित की गई है। इस समिति द्वारा गत 14 मई को राजनगर एवं जुझार घाट का स्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया था। डां. जटिया द्वारा वर्क एजेंन्सी जल संसाधन विभाग एवं नगर पालिका परिषद दमोह को निर्देष दिये गये कि राजनगर जलाशय में बांध एवं वेस्ट वियर की उंचाई बढ़ाकर जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के कार्य से प्रस्तावित भराव क्षेत्र की सीमा का चिन्हांकन, सात दिवस के भीतर कर दिया जाये। जलभराव क्षेत्र में यदि कोई अतिक्रमण आ रहा है, तो उसे हटाने की कार्यवाही यथाशीघ्र नगर पालिका परिषद दमोह करे। बांध के उपर से हाई टेंशन विद्युत लाईन निकली हुर्ई है, बांध की उचांई बढ़ाने से वर्टिकल क्लीयररेंन्स कम हो जावेगा, किसी दुर्घटना की आशंका न रहे इसके लिये पावर ग्रिड कारपोरेषन को एक टावर की उंचाई बढ़ाने हेतु तत्तकाल प्रस्ताव प्रेषित करें। हाईटेंशन लाईन के नीचे डम्पर,ट्रेक्टर,जेसीबी, आदि उंची मशीनों के द्वारा कार्य न कराया जावें। पुराने वेल की उचाई भी बांध की उचांई के बराबर कराई जावें।
इसी प्रकार जुझारघाट के स्टापडेम के ओपनिंग यथावत रखी जाये ताकि डेम में सिलटिंग कम से कम हो। जुझार घाट पर इनटेल वेल का निर्माण स्टापडेम के अपस्ट्रीम में लगभग 10 मीटर की दूरी पर किया जावे। निरीक्षण के दौरान अपर कलेक्टर श्री अनिल शुक्ला, एसडीएम दमोह  मनोज सिंह ठाकुर, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग  ए.के. सिंह, कार्यपालन यंत्री जलसंसाधन सुरेन्द्र पितलिया, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एस.एल.अहिरवाल. मुख्य नगर पालिका अधिकारी दमोह सुधीर सिंह, परियोजना अधिकारी जि.श.वि.अ. दमोह कपिल खरे एवं सहा.यंत्री नगर पालिका दमोह मेघ तिवारी उपस्थित थे।
छपा-दिखा रोग की बीमारी बढने का समय-
सरोवरों के जल का स्तर घट चुका है और वह गत वर्ष हुये साफ-सफाई एवं गहरीकरण की गाथा स्वयं लोगों के सामने कह रहे हैं। वहीं कुछ छपा एवं दिखा रोग से पीढित रोगियों की बीमारियां बढने वाली हैं जो कुछ फिल्मी तरीके से कुछ तसले मिट्टी को लेकर फोटो खिंचवा अखवारों एवं निजि चेनलों पर सुर्खियां बटोरने के लिये लालायित दिखलाई देंगे। वैसे देखा जाये तो गहरी करण साफ-सफाई का कार्य अधिकांशत:जून माह के मध्य में प्रारंभ होता है। कुछ दिन बाद बारिश प्रारंभ हो जाती है और लोग भूल जाते हैं उथले सरोवर जलमग्न और लाखों रूपयों की फाग खेल ली जाती है।
प्रारंभ होते ही बंद हुआ था कार्य- 
उक्त दीवान जी की तलैया की साफ-सफाई का कार्य प्रारंभ होते ही गत बर्ष मात्र कुछ ही घंटों में बंद हो गया था। एक छोटी जेसीबी मशीन और 3-4 टेक्द्रर द्राली के साथ प्रारंभ कराये गये उक्त कार्य के प्रारंभ होने पर ही आशंका उत्पन्न होना प्रारंभ हो गयी थी जो कि म़ात्र कुछ ही घंटों में सच्चाई में परिवर्तित हो गयी । सूत्रों की माने तो उक्त कार्य में लम्बी फाग खेलने की योजना बनायी गयी है अब कितनी सच्चाई इसमें है यह तो समय आने पर सामने आ ही जायेगा।
लाखों खर्च कर गंदा नाला जोडा-
उक्त प्राचीन सरोवर दीवान जी की तलैया में नगर पालिका परिषद ने लाखों रूपयों की फाग खेलते हुये एक गंदे नाले को जोड इसे और गंदा बनाने में अपनी आहुति दे दी। जानकारों की माने तो विश्व में किसी भी गंदे नाले को किसी सरोवर से नहीं जोडा जा सकता है। जबकि यह कार्य खुलेआम हुआ और वह भी पुलिस की जमीन से होकर कहा जाये कि पुलिस की छाती पर खंूटा गाडकर तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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