गर्दिशों में तारा मंडल, करोंडों की योजना में लगा पलीता

नौ बर्षों से अलमारी में है कैद तारा मंडल
छात्र-छात्राओं सहित आमजनमानस को भी नहीं मिल रहा लाभ
जिला प्रशासन की खामोशी,संबधित विभाग की लापरवाही
योजना को दिन में ही दिखने लगे तारे 2005 से बंद प्रदर्शन
12-डा.लक्ष्मी नारायण वैष्णव- दमोह /  इसे जिले की छात्र-छात्राओं का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहेंगे कि जहां करोडों रूपयों का खर्च शासन ने उनके ज्ञान वर्धन के लिये किया हो उसका लाभ उनको न मिल पा रहा हो? जी हां हम आपको एक एैसी ही योजना से अवगत कराने जा रहे हैं जिसका लाभ जिला प्रशासन की अनदेखी एवं शिक्षा विभाग के घोर लापरवाह अधिकारियों के चलते नहीं मिल पा रहा है। दूसरे मायने में कहें तो इनके कारण एक खगोल विज्ञान से संबधित अनौखी एवं ज्ञान को बढाने वाली योजना को पलीता लगाने का पूरा प्रयास किया गया। हम बात कर रहे हैं एक विशेष योजना तारामंडल की जो आज विद्यालय में पडा धूल खा रहा है। विदित हो कि छात्र-छात्राओं को सौर मंडल की बारिकियों को ज्ञान देने के उद्ेश्य से  करोडों रूपयों की योजना को प्रारंभ की गयी थी। इसको तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बर्ष 2005 में जिला स्तर पर तारामंडल केन्द्र के रूप में स्थापित करने के निर्देश दिये गये थे। इसके  लिये विभाग के ही निर्धारित कर्मचारियों को प्रशिक्षण कलकत्ता में दिलाया गया था। स्थानीय शासकीय उत्कृष्ठ विद्यालय के प्राचार्य को इसको स्थापित करने की जबाबदारी दी गयी थी। विद्यालय के कृषि संकाय के कक्ष में बडे ही धूम-धाम से प्रारंभ किये गये उक्त तारामंडल मात्र कुछ ही दिनों बाद बंद कर दिया गया। और करोंडों की योजना एवं शासन का उद्ेश्य दोनो गये पानी मेंं साथ ही साथ छात्र-छात्राओं को मिलने वाला लाभ भी नहीं मिल पाया। उक्त विषय में जब समाचार पत्र के प्रतिनिधि ने विद्यालय के प्रार्चाय के.के.पांडे से चर्चा की तो उनका उत्तर हस्यापद सा प्राप्त हुआ जिसके अनुसार वह तो 2012 में इस विद्यालय में आये हैं इसके संबध में कोई जानकारी मुझे नहीं है। वहीं जब संबधित विभाग के प्रमुख तथा वहीं पदस्थ शिक्षक एम टी कुरैशी ने समाचार पत्र के प्रतिनिधि के प्रश्र के उत्तर में बतलाया कि 25/02/2005 को कलकत्ता में पीडी विश्वकर्मा एवं मुझे दोनो को प्रदान किया गया था। 10/04/2005 को इसका शुभारंभ स्थानीय विधायक एवं मंत्री जयंत मलैया ने विद्यालय के कृषि विभाग के कक्ष में किया था। इनके अनुसार कुछ दिनो बाद नार्थ स्टार फील्ड सिंलेडर खराब हो गया है यह जानकारी श्री विश्वकर्मा जी द्वारा दी गयी। तभी से यह अलमारी मे रखा हुआ है। अनेक छात्र-छात्राओंं के अनुसार तारामंडल क्या है हमें तो मालूम ही नहीं न ही विद्यालय में देखा है कलकत्ता में है यह सुना है। जाहिर है कि जिस योजना को जन्म लेते ही दफन कर दिया गया हो और उसको भी लगभग नौ बर्ष व्यतीत हो गये हों तो विद्यार्थी क्या आमजन भी को भी याद नहीं रह पाता। मामला जो भी हो पर यह तो निश्चित है कि शासन की मंशा को जमकर पलीता लगाया गया वह भी विभिन्न प्रकार की एैसी कमियों को दर्शाकर जिनको तो आसानी से दूर किया जा सकता था।
इनका कहना है-
swatantra kumar singh 2– आपने जानकारी दी में इस संबध मं तत्काल प्राचार्य एवं जिला शिक्षा अधिकारी से बात करता हुं तथा इसको प्रारंभ करवाता  हुं ताकि खगोल विज्ञान के संबध मेंं विद्यार्थियों तथा नागरिकों को लाभ मिल सके।
स्वतंत्र कुमार सिंह 
कलेक्टर दमोह

-मुझे इस संबध में कोई जानकारी नहीं है मैं तो 2012 में इस विद्यालय में प्राचार्य के पद पर आया हुं।
के.के.पांडे प्राचार्य 
उत्कृष्ठ विद्यालय दमोह

-तारामंडल अलमारी में रखा हुआ है,स्टाफ एवं स्थान के आभाव के साथ ही तकनीकि खराबी के कारण  बंद पडा है।
एम.टी.कुरैशी
प्रभारी तारामंडल 
उत्कृष्ठ विद्यालय दमोह

-यह बात सच है कि तारामंडल 2005 मेंं प्राप्त हुआ था उस समय में प्रार्चाय था। इस संबध में पूरी जानकारी प्रार्चाय के पास होनी चाहिये में इस को प्रारंभ करने के लिये तत्काल निर्देश जारी करूंगा।
एस.के.नेमा
जिला शिक्षा अधिकारी दमोह

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