डाकिया डाक लाया….!!

post man-अमितेश कुमार ओझा- समय के साथ कितना कुछ बदल गया। रेडिया की जगह पहले ब्लैक और व्हाइट और फिर रंगीन टेलीविजन और अब तो दीवार पर चिपके रह कर किसी भी चीज का जीवंत चित्रण करने वाले टेलीविजन बाजार में आ गए हैं। यही नहीं किसी संदेशे के लिए चिट्ठी – टेलीग्राम की बात अब इतिहास बन चुकी है। क्योंकि मोबाइल की पहुंच गांव – गांव तक हो चुकी है। लेकिन यह भी सच है दोस्तों कि दुनिया में बहुत कुछ नहीं भी बदल पाया है। जैसे बचपन में मैं अपने पापा को साइकिल की जिस पद्धित से पंक्चर बनवाते देखता था, उसी तरह आज मैं खुद अपनी साइकिल के पहियों के पंक्चर बनवाता हूं। बेरोजगारों की विकट समस्या भी दशकों से यथावत है। इस मामले में रत्ती भर भी बदलाव नहीं हुआ। यही नहीं तमाम देशी – विदेशी कूरियर कंपनियों की बाढ़ के बावजूद डाकियों का महत्व समाज में आज भी यथावत कायम है। डाकियों को देखते ही मन में हलचल होने लगती है कि शायद कुछ पत्रम – पुष्पम आया हो। बेरोजगारी की समस्या दूर करने में भी प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से इन डाकियों की अहम भूमिका है। क्योंकि किसी भी तरह की नौकिरयों के आवेदन पत्र, काल लेटर व नियुक्ति से संबद्ध दूसरे तरह के प्रपत्र डाक से ही आते हैं। एेसे मौकों पर हम जैसे छात्र सशंकित हो उठते हैं कि काल लेटर या इससे जुड़े दूसरे तरह के पत्र डाक बाबू समय से दे पाएंगे या नहीं। पांच से में से दो आवेदकों को निराशा भी होती है। क्योंकि एेसे प्रपत्र समय पर नहीं मिलने से सारा किया धरा बेकार चला जाता है। इसलिए केंद्र सरकार को डाक विभाग की कार्यशैली में आमूल चूल परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि यह मसला हजारों बेरोजगारों से जुड़ा है। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि आवेदकों को हर तरह के प्रपत्र समय पर अनिवार्य रूप से मिलेंगे। इसके लिए महकमे में पारदर्शिता व जवाबदेही तय करनी होगी। अन्यथा जिन कुछ क्षेत्रों में अपरिवर्तन की जो विसंगित हम देखते हैं, वह आगे भी जारी रहेगी। जिसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पढ़े – लिखे शिक्षित बेरोजगारों को झेलना पड़ेगा।
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लेखक बी.काम प्रथम वर्ष के छात्र हैं।
पता- अमितेश कुमार ओझा
भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल)
संपर्कः 08906908995
email_kamitesh87@gmail.com

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