एस.पी.मित्तलविश्वविख्यात कार निर्माता कम्पनी फोर्ड के अजमेर के डीलर सुजीत कुमार गहलोत पर वाणिज्यिक कर विभाग का कोई 40 करोड़ रुपया (जुर्माना,ब्याज आदि मिलाकर) बकाया निकलने से अजमेर के व्यापार जगत में हलचल मच गई। गंभीर बता यह है कि इस बकाया के घेरे में अप्रत्यक्ष तौर पर अजमेर की ही फर्म लल्लामल कन्हैयालाल के मालिक अनिल अग्रवाल और जयपुर स्थित फोर्ड कार के ही डीलर किशोर गहलोत भी आ रहे हैं। किशोर गहलोत और सुजीत गहलोत आपस में रिश्तेदार हैं। बताया जा रहा है कि जब वर्ष 2011 में सुजीत गहलोत ने फोर्ड की डीलरशिप ली थी, तब अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत दिखाने के लिए नेशनल ट्रेक्टर एंड मोटर्स की बैलेंस शीट को काम में लिया था। इस पुरानी फर्म में ही किशोर गहलोत और अनिल अग्रवाल (बल्लू भाई) भी साझेदार बताए। वाणिज्यिक कर विभाग की ऑडिट ने पता लगाया कि वर्ष 2011 से 31 मार्च 2015 तक की अवधि में गहलोत फोर्ड में वित्तीय अनियमितताएं हैं। जितनी कारों एवं पाटर्स की खरीददारी दिखाई गई उतनी की बिक्री नहीं है। यह गड़बड़ी गहलोत फोर्ड के कम्प्यूटर से पता चली है। ऑडिट की रिपोर्ट के बाद जब विभाग के अधिकारियों ने गहलोत फोर्ड के परबतपुरा स्थित शोरूम पर कम्प्यूटरों की जांच की तो सच्चाई पता चली। हालांकि सुजीत कुमार गहलोत इस जांच पड़ताल के बाद से ही बीमार चल रहे हैं, इसलिए विभाग की जांच रफतार नहीं पकड़ रही है। अजमेर स्थित वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त जीएल गुप्ता ने माना कि गहलोत फोर्ड के मामले में उच्च स्तरीय जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही पता चलेगा कि कितने करोड़ रुपए की बकाया है। गुप्ता ने कहा कि कार डीलरों के विरूद्ध पहले भी ऐसी शिकायते प्राप्त हुई हैं। गहलोत फोर्ड की बकाया वसूली के लिए जो नोटिस दिया गया है उसके जवाब की अंतिम तिथि 8 जून है। देखना है कि संबंधित फर्म क्या जवाब देती है। गुप्ता ने कहा कि अजमेर में इन दिनों वाणिज्यिक संस्थानों पर सर्वे अभियान चल रहा है। यदि सर्वे में वित्तीय अनियमितता पकड़ी जाती है तो बकाया राशि पर 12 गुना जुर्माना ब्याज सहित वसूला जाता है। इसलिए व्यापारियों को चाहिए कि माल की बिक्री पर वाणिज्य कर अवश्य चुकाएं। वैसे भी अब व्यापारियों को ऑनलाइन ही ब्यौरा देना होता है। इस ब्यौरे की जांच प्रदेश स्तर पर की जाती है। डीलरों के रिकॉर्ड का मिलान संबंधित कम्पनी के मूल रिकॉर्ड से किया जाता है। इसलिए कोई भी डीलर इस मुगालते में नहीं रहे कि जो रिकॉर्ड उसने दिया है, वही पर्याप्त है। गहलोत फोर्ड की बकाया राशि से अजमेर के व्यापार जगत में हलचल मच गई है। जो व्यापारी इधर-उधर के तरीकों से कर की चोरी करते है वे घबराए हुए हैं। असल में वाणिज्यिक कर के बाद आयकर विभाग भी सक्रिय होता है। (एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511