यानी यूँ कहे कि देश में कुल संख्या का केवल 15 प्रतिशत ही देश की 125 करोड़ की जनता पर राज्य कर रहा है और अपने मनमाने फैसले जनता पर थोपने में सफल है !ऐसा भी नहीं है की इसमें बाकी 85 प्रतिशत का कोई योगदान नहीं है उनका भी योगदान है लेकिन वह सब इन 15 प्रतिशत के रहमोकरम पर ही निर्भर करता है ? और शायद यही कारन है की सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करने में हिचक रही है ? क्योंकि शासको को कहीं न कहीं यह। डर हमेशा सताता रहता है की हम कब तक 85 प्रतिशत पर राज्य करते रहेंगे?
जिस दिन भी जनसँख्या के जातिगत आंकड़े बाहर आयंगे तो जनताको अपनी ताकत का पता चलेगा तो फिर वाही होगा जो हनुमान जी के साथ होता था जब हनुमान जी को याद दिलाया जाता था तो उनको अपनी ताकत का अनुभव होता था ? और जब जनता को अपनी ताकत का एहसास हो जायेगा उस क्या होगा ? एस पी सिंह । मेरठ