दो चुटकी सिन्दुर……

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
फिल्मी जगत का ये फेमस डायलॉग आज भी हम सबको ध्यान है । कहीं वो रमेश बाबू आप या हम तो नहीं जिसके लिऐ यह कहा गया है । वास्तव में यह दो चुटकी सिन्दुर यह सुहाग की निशानी ही नहीं वरन् आपके साथी के अभिमान, सम्मान और उसकी मान मर्यादा है । पर क्या आप सही मायने में इस दो चुटकी सिन्दुर का कर्तव्य निभा रहे हैं या बस आपके लिऐ भी यह एक रस्म है । जरा सोचिऐ????
दो चुटकी सिन्दुर की कीमत वास्तव में आपकी अपने साथी के प्रति वफादारी, ईमानदारी, सज्जनता व पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा होने में है – क्या यह सब आप भली भांति सही मन से निभाते है । धोखे का खेल अगर आप खेल रहे हैं और आप सोचते हैं कि किसी को पता नहीं चलेगा तो आप सिन्दुर की कीमत नहीं समझ पाये । विश्वास पर ही यह रिश्ता टिका है कभी भी आप अपने अहम् को आगे मत लाईये । समाज कितना भी आधुनिक या 21 वीं शताब्दी का हो जाये ऐसे वाक्यों के मतलब नहीं बदलेगें ।
रमेश बाबू दो चुटकी सिन्दुर की कीमत समझो । आपके साथी के मान-सम्मान एवं उसकी भावनाओं का आप ध्यान रखिये ।

मेरी सलाह है कि यह सबसे पवित्र रिश्ता है इसकि गरिमा को बना कर या बढा कर रखें ।

बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर।

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