दो चुटकी सिन्दुर की कीमत वास्तव में आपकी अपने साथी के प्रति वफादारी, ईमानदारी, सज्जनता व पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा होने में है – क्या यह सब आप भली भांति सही मन से निभाते है । धोखे का खेल अगर आप खेल रहे हैं और आप सोचते हैं कि किसी को पता नहीं चलेगा तो आप सिन्दुर की कीमत नहीं समझ पाये । विश्वास पर ही यह रिश्ता टिका है कभी भी आप अपने अहम् को आगे मत लाईये । समाज कितना भी आधुनिक या 21 वीं शताब्दी का हो जाये ऐसे वाक्यों के मतलब नहीं बदलेगें ।
रमेश बाबू दो चुटकी सिन्दुर की कीमत समझो । आपके साथी के मान-सम्मान एवं उसकी भावनाओं का आप ध्यान रखिये ।
मेरी सलाह है कि यह सबसे पवित्र रिश्ता है इसकि गरिमा को बना कर या बढा कर रखें ।
बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर।