स्वास्थ्य – प्रथम प्राथमिकता

(जैविक खेती को बढ़ावा दें )
-बलराम हरलानी- ”हर पीली वस्तु सोना नहीं होती“ वैसे ही बाजार में बिकने वाली सब्जियाँ व फल जो दिखने मंे तो बहुत आकर्षक होती हैं वे पोष्टिक व स्वास्थवर्धक हों यह जरुरी नहीं। पैदावार बढ़ाने के लिए कई प्रकार के हानिकारक कैमिकल्स व पदार्थांे का प्रयोग से आमजन के स्वास्थ्य को हानिकारक परिणाम भुगतने पड़ते हैं जो बाद मंे जाकर द्यातक बीमारियांे का रुप ले लेते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिये।

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
”पहला सुख निरोगी काया“ स्वास्थ्य के साथ हम खिलवाड़ नहीं कर सकते। समय-समय पर गुणवत्ता की जांच होनी चाहिये। भारत में तो सदैव वस्तुआंे का उनके प्राकृतिक रुप मे विकसित करने की परम्परा रही है पर आधुनिक युग में ”जो दिखता है वो बिकता है“ वाला सिान्त प्रयोग मंे लाया जाता है। अपने थोड़े से मुनाफे के लिए आप किसी का स्वास्थ्य खराब नहीं कर सकते। किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाने चाहिये। गांवो व शहरों के विद्यालय में बच्चांे को इसके हानिकारक प्रभावांे की जानकारी व बचाव के रास्ते बताने चाहिये। हर बड़ी सब्जी मंडी या बाजार में एक गुणवत्ता जांच केन्द्र का प्रावधान होना चाहिये जिसमें कुछ मामूली सा शुल्क लेकर आप जांच करवा सकें।
यदि आपके घर मंे थोड़ी भी खाली जगह हो तो किचन गार्डन को बढ़ावा देवें, बच्चों को भी सीखायें। अपने पड़ोसियों व मित्रों से अपने-अपने गार्डन में उगी सब्जियों का आदान-प्रदान करें। आपके खर्च में भी कुछ कमी आयेगी। आपका परिवार आत्मनिर्भरता सीखेगा, और इसका आप सभी के स्वास्थ्य पर भी सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा।
स्वस्थ्य शरीर ही सम्पन्नता दिलाता है। आप भी सजग रहंें, प्रयोग में आने वाली हर सब्जी, फल आदि को देखकर, सही प्रकार से धोकर व उनके पोष्टिक गुणों के आधार पर इनका चयन करें। आपके परिवार, बच्चों के व आपके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपकी है।
मेरी सलाह है कि आप स्वस्थ्य समाज बनाकर राष्ट्र हित में अपना योगदान किसी भी रुप मे देवें।

लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर।

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