नवरात्रा पर्व : नारी शक्ति को नमन

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
भारतीय समाज में सदेव से ही नारी को उच्चतम सम्मान प्राप्त है | नवरात्रा का उत्सव समाज में महिलाओं को आदर-सम्मान देने की पुरातन परम्परा का साक्षात् प्रमाण है | नवरात्रा पर्व में महिलाओं की सभी गतिविधियों,कार्यकलापों को सकारात्मक रूप में सम्मिलित किया गया है |
ऋषि-मुनियों ने नवरात्रा की प्रथम “देवीशैलपुत्री” के जरिये हम लोगों को पहाड़ों के प्राक्रतिक स्वरूप को सुरक्षित बनाये रखने का संदेश दिया है | इसी अनुक्रम में “देवी ब्रह्मचारिणी”के माध्यम से हमें जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए निरंतर ज्ञानार्जन प्राप्त करने का संदेश मिलता है | नारी शुरू से ही सोंद्र्यता एवं स्नेहमयी रही है , “देवी चन्द्रघंटा” हम सभी को नारी की सुन्दरता के साथ साथ चन्द्रमा से मिलनेवाली शीतलता,शालीनता,सहनशीलता,सहजता एवं शांति का बोध करवाती है | “देवी कूष्मांडा” को इस स्रष्टी में नारीयों के अस्तित्व का बोध करवाती है | देवी कूष्मांडा को नारी सम्मान तथा स्रष्टी रचना में इन्हें अक्षुण्ण बनाये रखनेवाली देवी के रूप में देखा जाता है | कष्टों, मुसीबतों, विपदाओं (काल) के हरण के प्रतीक में” देवी कालरात्री”, शांति का संदेश वाहक सफेद रंग से सुशोभित माता “महागोरी”, “ देवी सिद्धिदात्री” ( जो जीव मात्र की सुरक्षा,देखभाल करती है वह कल्याणकारी भी है)सभी सिद्धियों को संपुष्ट करने वाली हैं | अत: ये सभी देवियाँ नारीयों में पाये जाने हर प्रकार के गुंणों को स्रष्टी में अक्षुन्न बनाये रखने में सहयोगी बनती हैं | नवरात्रा का पहला दिन बालिकाओं को,दूसरा नवरात्रा युवतियों तथा तीसरा नवरात्रा महिलाओं के चरणों में समर्पित है | देवी अम्बा उर्जा (प्राक्रतिक शक्तियों) की प्रतीक है | नवरात्री के चोथे, पांचवें एवं छठे दिन माता लक्ष्मी यानि सुख-सम्पन्नता,शांति एवं वैभव के दिन है | यह भी स्मरणीय है कि जीवन में धन-दोलत एक सीमा तक महत्वपूर्ण है किन्तु इसके साथ जीवन में बुद्धी-ज्ञान बहुत जरूरी है | पाचवें दिन बुद्धी-ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है क्योंकि बुद्धी-ज्ञान के अभाव में धन-सम्पदा का सदुपयोग सम्भव नहीं होता है इसीलिये नवरात्री में लक्ष्मी एवं सरस्वती की पूजा-अर्चना साथ की जाती है |
क्‍या भगवान राम ने की नवरात्रि की शुरूआत?
नवरात्रि वर्ष में चैत्र और आश्विन माह में मनाई जाती है, जिसमें चैत्र माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि प्रमुख मानी जाती है। सर्वप्रथम दुर्गा पूजा किसने प्रारम्भ की और कब की थी इसके बारे में प्रमाणिकता के साथ तो कुछ कहा नहीं जा सकता है किन्तु पौराणिक कथाओं के एवं किवंदंतियो के अनुसार कहा जाता है कि अश्विन महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि पूजा का शुभारम्भ प्रभु श्रीराम ने रावण से युद्ध करते वक्त ही किया था । कहते हैं कि प्रभु श्रीराम ने युद्ध में रावण से विजय प्राप्त करने और माता सीता को रावण से मुक्त करवाने हेतु देवी दुर्गा की पूजा-आराधना की थी | यह भी कहा जाता है कि श्रीराम ने देवी दुर्गा को 108 कमल के फूलों को अर्पित किया था एवं देवी दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु 108 दीपकों को भी जलाया था । यह भी माना जाता है कि इस पूजा के मध्य ही एक दानव ने पूजा के 108 फूलों में से एक फूल को चुरा लिया था, इस घटना से श्रीराम चिंतित हो गये एवं उन्होंने पूजा पूर्ण करने हेतु उस दानव की एक आँख को कमल के फूल के स्थान पर देवी दुर्गा को चढ़ाने का विचार किया। किन्तु दानव की आँख को चड़ाने के पूर्व ही वहां देवी दुर्गा स्वयं ही प्रकट हो गई और उन्‍होने भगवान राम को युद्ध में विजय का वरदान दिया। नवरात्रि के नवें दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर दिया था। इस प्रकार आश्विन माह की नवरात्रि पूजा शुरू हुई।
निसंदेह नवरात्रि का पर्व विनाशकारी ,तामसी ,अनिष्टकारी, अधार्मिक एवं अमानवीय प्रव्रत्तियों पर सात्विकता, कल्याणकारी प्रव्रत्तियों ,मानवीयता, धर्म एवं सत्य की विजय का पर्व है |
जे.के.गर्ग
सन्दर्भ— मेरी डायरी के पन्ने,lवेबइण्डिया,विभिन्न पत्रिकाएँ,बोल्डस्काई,एस्ट्रोबिक्स.कॉम, भारत ज्ञान कोष, संतों के प्रवचन,जनसरोकार,विकीपीडिया आदि
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